कम्प्यूटर एक परिचय
(Introduction to Concept of Computers) in Hindi ! कंप्यूटर क्या है कंप्यूटर का संक्षिप्त परिचय?
वर्तमान युग कम्प्यूटर एज (Age) के रूप में जाना जाता है। घर हो या दफ्तर हर जगह कम्प्यूटर मौजूद है। कम्प्यूटर की मदद से विभिन्न काम जैसे नौकरी की तलाश, किसी उत्पाद के बारे में जानकारी हासिल करना, शिक्षा संबंधी कार्य या फिर कहीं घूमने की योजना तैयार करना आसानी से किये जा सकते हैं।
हम आज कम्प्यूटर का इस्तेमाल संवाद के साधन के रूप में करते हैं। यह संचार, मात्र लिखित रूप तक ही सीमित नहीं है बल्कि आधुनिक तकनीक की बदौलत कम्प्यूटर के द्वारा, ध्वनियां, विडियो और ग्राफिक्स भी भेजे जा सकते हैं। घर में निजी कम्प्यूटर की मद्द से आप अपनी चेक बुक का लेखा-जोखा, बिलों का भुगतान, आय और खर्चा का हिसाब, पैसे स्थानांतरण, स्टॉक की खरीददारी आदि काम आसानी से कर सकते हैं। ए.टी.एम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) मशीन के जरिए पैसा निकाल सकते हैं।
दिन-प्रतिदिन नयी तकनीक विकसित हो रही है। डिजिटल क्रांति को हम कैसे काम में लाते हैं यह पूर्ण रूप से हम पर निर्भर है। डिजिटल दुनिया में सफल होने के लिए कम्प्यूटर शिक्षित होना जरूरी है। दुनिया में कम्प्यूटर का इस्तेमाल इतना बढ़ता जा रहा है कि सभी लोगों को कम्प्यूटर को जानना जरूरी हो गया है। इसके लिए सिर्फ टाइपिंग सीखना ही काफी नहीं है बल्कि कम्प्यूटर के कॉनसेप्ट को समझना जरूरी है।
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कम्प्यूटर क्या है? :-
कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो डाटा तथा निर्देशों को इनपुट के रूप में ग्रहण करता है, उनका विश्लेषण करता है तथा आवश्यक परिणामों को निश्चित प्रारूप में आउटपुट के रूप में निर्गत करता है। यह डाटा के भंडारण (storage) तथा तीव्र गति और त्रुटिरहित ढंग से उसके विश्लेषण का कार्य करता है।
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, "कम्प्यूटर एक स्वचालित इलेक्ट्रानिक मशीन है, जो अनेक प्रकार की तर्कपूर्ण गणनाओं के लिए प्रयोग किया जाता है।
कम्प्यूटर वह मशीन है जो डाटा स्वीकार करता है, उसे भंडारित करता है, दिए गए निर्देशों के अनुरूप उनका विश्लेषण करता है तथा विश्लेषित परिणामों को आवश्यकतानुसार निर्गत करता है।
डाटा (Data):- डाटा तथ्यों और सूचनाओं का अव्यवस्थित संकलन है। डाटा को दो प्रकार में विभाजित किया जा सकता है
संख्यात्मक डाटा (Numerical data):- यह अंकों से बना डाटा है जिसमें 0.1, 2, .........., 9 तक अंकों का प्रयोग किया जाता है। इस तरह के डाटा पर हम अंकगणितीय क्रियाएं कर सकते हैं। जैसे-विद्यार्थियों का प्राप्तांक, कर्मचारियों का वेतन आदि।
चिह्नात्मक डाटा (Alphanumeric data):- इसमें अधरों, अंकों तथा चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इसमें अंकगणितीय क्रियाएं नहीं की जा सकती, पर इनकी तुलना की जा सकती है। जैसे कर्मचारियों का पता ।
सूचना (Information):- डाटा का उपयोगिता के आधार पर किये गए विश्लेष और संकलन के बाद प्राप्त तथ्यों को सूचना कहते हैं।
सूचना प्राप्ति (Information Retrieval) :- आवश्यकतानुसार सूचना को पुनः प्राप्त करने की विधि सूचना प्राप्ति कहलाता है।
डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing):- डाटा का उपयोगिता के आधार पर किया जाने वाला विश्लेषण डाटा प्रोसेसिंग कहलाता है।
इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग (Electronic Data Processing):- इलेक्ट्रॉनिक विधि से डाटा का विश्लेषण इलेक्ट्रानिक डाटा प्रोसेसिंग कहलाता है।
अनुदेश (Instruction) :- कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए दिए गए आदेशों को अनुदेश कहा जाता है।
प्रोग्राम (Program) :- कम्प्यूटर को दिए जाने वाले अनुदेशों के समूह को प्रोग्राम कहा जाता है।
सॉफ्टवेयर (Software) :- प्रोग्रामों के समुच्चय को जो कम्प्यूटर के विभिन्न कार्यो के सफल क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होता है, सॉफ्टवेयर कहा जाता है।है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- हर क्षेत्र में कम्प्यूटर के वृहद अनुप्रयोग के कारण आधुनिक युग को 'कम्प्यूटर युग' (Computer age) की संज्ञा दी जाती है।
- 2 दिसंबर प्रतिवर्ष विश्व कम्प्यूटर साक्षरता (Computer Literacy Day) दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- भारत में कम्प्यूटर का प्रथम प्रयोग 16 अगस्त, 1986 को बैंगलुरु के प्रधान डाकघर में किया गया। जबकि भारत का प्रथम पूर्ण कम्प्यूटरीकृत डाकघर नई दिल्ली है
कम्प्यूटर की विशेषता(Characteristics of Computer)
1. गति (Speed) :- कम्प्यूटर एक सेकेण्ड में लाखों गणनाएं कर सकता है। किसी मनुष्य द्वारा पूरे वर्ष में किए जाने वाले कार्य को कम्प्यूटर कुछ ही सेकेण्ड में कर सकता है। कम्प्यूटर प्रोसेसर के स्पीड को हर्टज (Hz) में मापते हैं। वर्तमान समय में कम्प्यूटर नैनो सेकेण्ड (109 सेकेण्ड) में गणनाएं कर सकता है।
2. स्वचालित (Automatic) :- कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन है जिसमे गणना के दौरान मानवीय हस्तक्षेप की संभावना नगण्य रहती है। हालांकि कम्प्यूटर को कार्य करने के निर्देश मनुष्य द्वारा ही दिए जाते हैं, पर एक बार आदेश दिये जाने के बाद वह बिना रुके कार्य कर सकता है।
3. त्रुटि रहित कार्य (Accuracy) :- कम्प्यूटर की गणनाएं लगभग त्रुटिरहित. क्षेत्र हो का वि होती है। गणना के दौरान अगर कोई त्रुटि (error) पायी भी जाती है तो वह प्रोग्राम या डाटा में मानवीय गलतियों के कारण होती है। अगर डाटा और प्रोग्राम 1. सही है तो कम्प्यूटर हमेशा सही परिणाम ही देता है। कभी-कभी वायरस (Virus) के कारण भी कम्प्यूटर में त्रुटियां आ जाती है।
4. स्थायी भंडारण क्षमता (Permanent Storage) :- कम्प्यूटर प्रयुक्त मेमोरी को डाटा, सूचना और निर्देशों के स्थायी भंडारण के लिए प्रयोग किया जाता है। चूंकि कंप्यूटर में सूचनाएं एलेक्ट्रॉनिक तरीके से संग्रहित की जाती है, अतः सूचना के समाप्त होने की संभावना कम रहती हैं।
5. विशाल भंडारण क्षमता (Large Storage Capacity) :- कंप्यूटर के बाह्य (external) तथा आंतरिक (internal) संग्रह मध्यमो (हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, मैग्नेटिक टेप, सीडी रॉम) में असीमित डाटा और सूचनाओ का संग्रह किया जा सकता है कंप्यूटर में सूचनाएं कम स्थान घेरती है, अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असीमित है।
6. भंडारित सूचना को तीव्रगति से प्राप्त करना (Fast Retrieval) :- कम्प्यूटर प्रयोग द्वारा कुछ ही सेकेण्ड में भंडारित सूचना में से आवश्यक सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। रैम (RAM-Random Access Memory) के प्रयोग से वह काम और भी सरल हो गया है।
7. जल्द निर्णय लेने की क्षमता ( Quick Decision):- कम्प्यूटर परिस्थितियों का विश्लेषण कर पूर्व में दिए गए निर्देशों के आधार पर तीव्र निर्णय की क्षमता रखता है।
8. विविधता (Versatility):- कम्प्यूटर को सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किये जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटरों में अलग-अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।
9. पुनरावृत्ति ( Repetition):- कम्प्यूटर को आदेश देकर एक ही तरह के कार्य बार-बार समान विश्वसनीयता और तीव्रता से कराये जा सकते हैं।
10. स्फूर्ति (Agility):- कम्प्यूटर एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान तथा बोरियत महसूस नहीं होती है और हर बार समान क्षमता से कार्य करता है।
11. गोपनीयता (Secrecy):- पासवर्ड (Password) के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य की गोपनीय बनाया जा सकता है पासवर्ड के प्रयोग से कंप्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति हो देखा या बदल सकता है।
12. कार्य की एकरूपता (Uniformity of work):- बार-बार तथा लगातार एक ही कार्य करने के बावजूद कम्प्यूटर के कार्य की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
कम्प्यूटर की सीमाएं (Limitations of the Computer)
1. बुद्धिहीन (Nomind) :-कम्प्यूटर में स्वयं की सोचने और निर्णय लेने को क्षमता नहीं होती। यह केवल दिए गए दिशा-निर्देशों के अंदर ही कार्य कर सकता है।
2. खर्चीला (Expensive) :- कम्प्यूटर के हॉर्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर काफी महंगे होते हैं तथा इन्हें समय-समय पर आवश्यकतानुसार परिवर्तित भी करना पड़ता है।
3. वायरस का खतरा (Immune to virus):- कम्प्यूटर में वायरस का खतरा बना रहता है जो सूचना और निर्देशों को दूषित या समाप्त कर सकता है।ये वायरस कम्प्यूटर की भंडारण क्षमता को भी प्रभावित करते हैं। हालांकि एंटीवायरस सॉफ्टवेयर (Anti Virus) का प्रयोग कर इससे बचा जा सकता है।
4. विद्युत पर निर्भरता (Depends on Electricity):- कम्प्यूटर अपने कार्य के लिए विद्युत पर निर्भर करता है तथा इसके अभाव में कोई भी कार्य संपन्न कर पाने में सक्षम नहीं है।
कम्प्यूटर के अनुप्रयोग (Applications of Computer):- कम्प्यूटर का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। वर्तमान में, शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां कम्प्यूटर का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। निम्नलिखित क्षेत्रों में कम्प्यूटर का विभिन्न अनुप्रयोग किया जा रहा है
1. डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) :- बड़े और विशाल सांख्यिकीय डाटा से सूचना तैयार करने में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है। जनगणना, साख्यिकीय विश्लेषण, परीक्षाओं के परिणाम आदि में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
2. सूचनाओं का आदान-प्रदान (Exchange of Information) :- भंडारण की विभिन्न पद्धतियों के विकास और कम स्थान घेरने के कारण ये सूचनाओं के आदान-प्रदान के बेहतर माध्यम साबित हो रहे हैं। इंटरनेट के विकास ने तो इसे 'सूचना का राजमार्ग' (Information Highway) बना दिया है।
3. शिक्षा (Education) :- मल्टीमीडिया (Multimedia) के विकास और कम्प्यूटर आधारित शिक्षा ने इसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बना दिया है। डिजिटल लाइब्रेरी ने पुस्तकों को सर्वसुलभता सुनिश्चित की है।
4. वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research):- विज्ञान के अनेक रहस्यों को सुलझाने में कम्प्यूटर की सहायता ली जा रही है। कम्प्यूटर में परिस्थितियों का उचित आकलन भी संभव हो पाता है।
5. रेलवे और वायुयान आरक्षण (Railway and Airlines Reservation) :- कम्प्यूटर की सहायता से किसी भी स्थान से अन्य स्थानों के रेसवे और वायुयान के टिकट लिए जा सकते हैं तथा इसमें गलती की संभावना श्री नगण्य है।
6. बैंक (Bank) :- कम्प्यूटर के अनुप्रयोग ने बैंकिंग क्षेत्र में क्रांति ला दी है। एटीएम तथा ऑनलाइन बैंकिंग, चेक के भुगतान, रुपया गिनना तथा पासबुक इंटी में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।
7. चिकित्सा (Medicine):- शरीर के अंदर के रोगों का पता लगाने, उनका विश्लेषण और निदान में कम्प्यूटर का विस्तृत प्रयोग हो रहा है। सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे तथा विभिन्न जाँच में कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है।
8. रक्षा (Defence):- रक्षा अनुसंधान, वायुयान नियंत्रण, मिसाइल, रडार आदि में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।
9. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology) :- कम्प्यूटर की तीव्र गणना क्षमता के कारण ही ग्रहों, उपग्रहों और अंतरिक्ष की घटनाओं का सूक्ष्म अध्ययन किया जा सकता है। कृत्रिम उपग्रहों में भी कम्प्यूटर का विशेष प्रयोग हो रहा है।
10. संचार (Communication):- आधुनिक संचार व्यवस्था कम्प्यूटर के प्रयोग के बिना संभव नहीं है। टेलीफोन और इंटरनेट ने संचार क्रांति को जन्म दिया है। तंतु प्रकाशिकी संचरण (Fiberoptics communication) में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है।
11. उद्योग व व्यापार (Industry & Business) :- उद्योगों में कम्प्यूटर के प्रयोग से बेहतर गुणवत्ता वाले वस्तुओं का उत्पादन संभव हो पाया है। व्यापार में कार्यों और स्टॉक का लेखा-जोखा रखने में कम्प्यूटर सहयोगी सिद्ध हुआ है।
12. मनोरंजन (Recreation):- सिनेमा, टेलीविजन के कार्यक्रम, वीडियो गेम में कम्प्यूटर का उपयोग कर प्रभावी मनोरंजन प्रस्तुत किया जा रहा है। मल्टीमीडिया के प्रयोग ने कम्प्यूटर को मनोरंजन का उत्तम साधन बना दिया है।
13. प्रकाशन (Publishing):- प्रकाशन और छपाई में कम्प्यूटर का प्रयोग इसे सुविधाजनक तथा आकर्षक बनाता है। रेखाचित्रों और ग्राफ का निर्माण अब सुविधाजनक हो गया है।
14. प्रशासन (Administration) :- प्रशासन में पारदर्शिता लाने, सरकार के कार्यों की जनता तक पहुंचाने तथा विभिन्न प्रशासनिक तंत्रों में बेहतर तालमेल के लिए ई-प्रशासन (e-governance) का उपयोग कम्प्यूटर की सहायता से ही संभव हो पाया है।
15. डिजिटल पुस्तकालय (Digital Library):- पुस्तकों को अंकीय स्वरूप प्रदान कर उन्हें अत्यंत कम स्थान में अधिक समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। इसे इंटरनेट से जोड़ देने पर किसी भी स्थान से पुस्तकालय में संग्रहित सूचना को प्राप्त किया जा सकता है।
कम्प्यूटर के अनुप्रयोग के प्रभाव (Impact of Computerisation)
1. समय की बचत:- चूंकि कम्प्यूटर के कार्य करने की गति अत्यंत तीव्र है, अत: मनुष्य द्वारा एक वर्ष में पूरा किए जाने वाले कार्यों को कम्प्यूटर की सहायता से कुछ ही मिनटों में किया जा सकता है
2. त्रुटि रहित कार्य :- कम्प्यूटर के प्रयोग से कार्य में त्रुटि की संभावना नगण्य हो जाती है। जो त्रुटि होती भी है, वह गलत डाटा या गलत प्रोग्राम का परिणाम है जिसे पहचान कर सही किया जा सकता है।
3. कार्य की गुणवत्ता:- चूंकि कम्प्यूटर हर बार समान गुणवता से कार्य करता है. अतः बार-बार एक ही कार्य को करने के पश्चात् भी उत्पाद की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं होता है।
4. कागज की बचत:- डाटा संग्रहण के इलेक्ट्रॉनिक विधियों के उपयोग और उनकी विशाल भंडारण क्षमता के कारण कम्प्यूटर के प्रयोग से कागज की बचत संभव हो पाती है।
5. बेरोजगारी:- यह कम्प्यूटर के विस्तृत अनुप्रयोग का एक नकारात्मक प्रभाव है। एक कम्प्यूटर द्वारा सैकड़ों लोगों का कार्य किया जा सकता है जिससे लोगों की जीविका पर प्रभाव पड़ता है परन्तु वैकल्पिक व्यवस्था और समुचित विकास द्वारा इस पर काबू पाया जा सकता है। दूसरी तरफ, कम्प्यूटर से संबंधित क्षेत्रों में रोजगार का सृजन भी किया जा सकता है।
कम्प्यूटर का विकास
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