कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Networks)
Computer Network |
लोकल एरिया नेटवर्क (LAN-Local Area Network) :- एक निश्चित और छोटे भौगोलिक क्षेत्र (लगभग किमी.) में आपस में जुड़े कम्प्यूटर का जाल लोकल एरिया नेटवर्क कहलाता है। यह किसीplllएक ऑफिस, फैक्टरी या विश्वविद्यालय कैम्पस में कुछ क्षेत्र तक ही फैला रहता है। इसका आकार छोटा, डाटा स्थानांतरण की गति तेज तथा त्रुटियां कम होती हैं। इथरनेट (Ethernet) एक लोकप्रिय लैन (LAN) है। लैन में कम्प्यूटरों को जोड़ने के लिए बस टोपोलॉजी (Bus Topology) तथा को एक्सिंगल केबल का प्रयोग किया जाता है। इसमें रख-रखाव आसान होता है।
मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN-Metropolitan Area
Network) :- यह किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र (लगभग 100 किमी. त्रिज्या) में स्थित कम्प्यूटरों का नेटवर्क है। इसका उपयोग एक ही शहर में स्थित निजी या सार्वजनिक कम्प्यूटर को जोड़ने में किया जाता है।
यह एक हाईस्पीड नेटवर्क है जो 200Mbps (मेगाबिट प्रति सेकेंड) तक में 'आवाज, डाटा और इमेज को तेजी से 75 किमी. की दूरी तक इमारतों के कुछ ब्लॉकों अथवा पूरे शहर में ले जा सकता है।
ट्रांसमिशन की स्पीड नेटवर्क के आर्किटेक्चर पर आधारित होती है और यह कम दूरी के लिए ज्यादा हो सकती है। मैन जिसमें एक या अधिक लैन यहां तक कि टेलीकम्युनिकेशन उपकरण जैसे माइक्रोवेब और सेटेलाइट रिले स्टेशन शामिल
रहते हैं, वाइड एरिया नेटवर्क की तुलना में छोटा होता है लेकिन इसकी स्पीड
आमतौर पर अधिक होती है।
वाइड एरिया नेटवर्क (WAN-Wide Area Network) :- यह एक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र, कई देश, महाद्वीप या संपूर्ण विश्व में फैले कम्प्यूटरों का नेटवर्क है। इसमें कम्प्यूटरों को टेलीफोन, प्रकाशीय तंतु या कृत्रिम संचार उपग्रह से जोड़ा जाता है।
इसमें गति कम रहती है। तथा त्रुटियों की संभावना अधिक रहती है। • इसे लॉग हॉल नेटवर्क भी कहा जाता है इंटरनेट भी वैन का एक उदाहरण है। कम्प्यूटर मेंटनेंस कारपोरेशन CMC द्वारा विकसित इंडोनेट भारत में वैन का
उदाहरण है।
• इस नेटवर्क में पूरा देश और बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सभी साइटें कवर हो
सकती हैं। वैन का इस्तेमाल लोकल एरिया नेटवर्क और अन्य नेटवर्कों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए होता है ताकि एक जगह पर बैठा कोई यूजर अपने कम्प्यूटर के जरिए दूर कहीं बैठे किसी दूसरे यूजर से कम्यूनिकेट कर सके। ज्यादातर वैन किसी संस्था विशेष द्वारा बनाए जाते हैं और निजी होते हैं।
• अन्य इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर द्वारा बनाए जाते हैं और किसी संस्था के लैन को कनेक्शन देकर उसे इंटरनेट से जोड़ते हैं। कम्युनिकेशन आमतौर पर एक या अधिक राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय सरकारी इकाइयों द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं।
वर्तमान पीढ़ी के मोबाइल फोन डिजिटल तकनीक तथा ब्राडबैंड पर आधारित होते हैं जिसके द्वारा विभिन्न कम्प्यूटरों को आपस में जोड़कर आवाज के साथ-साथ डाटा, मल्टीमीडिया, ई-मेल आदि का संचरण किया जा सकता है।
• इसे तीसरी पीढ़ी की तकनीक (3rd Generation Technology) या 3 जी तकनीक ( 3G Technology) कहते हैं।
नेटवर्क को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है-
1. पियर टु पियर नेटवर्क
2. क्लाइंट/सर्वर नेटवर्क
नेटवर्क के लिए काम आने वाली
तारें
युग्मतार (Twisted Pair Cable) :- इसमें तांबे के दो तार होते हैं, जिन पर कुचालकों की परत चढ़ी रहती है। ये तार आपस में लिपटे रहते हैं और संतुलित माध्यम बनाते हैं जिससे केवल के शोर में कमी आती है। यह संकेतों को रिपिटर के बिना लंबी दूरी तक ले जाने में सक्षम है।
को एक्सियल केबल (Coaxial Cable) :-
• इसमें केंद्रीय ठोस चालक के चारों और चालक तार की जाली जिसे शील्ड
(Shield) भी कहते हैं, रहती है तथा दोनों के बीच प्लास्टिक का कुचालक रहता हैं तार की जाली भी कुचालक से ढकी रहती है। संकेतों का संचारण केंद्रीय ठोस
तार से होता है जबकि शील्ड अर्थ (Earth) से जुड़ा रहता है।
• इसमें संकेतों की हानि अपेक्षाकृत कम होती है। इसकी बैंडविथ अधिक होती है तथा यह संकेतों को अधिक दूरी तक ले जा सकता है। इसका उपयोग केबल टीवी
नेटवर्क में भी किया जाता है।
प्रकाशीय तंतु (Optical Fibre Cable):- इसमें ग्लास या प्लास्टिक या सिलिका का बना अत्यंत पतला तंतु होता है जो एलइडी या लेजर डायोड द्वारा उत्पन्न
संकेत युक्त प्रकाश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है।
• प्रकाश को पुनः संकेतों में बदलने के लिए फोटो डायोड का इस्तेमाल किया जाता
है। यह प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन के आधार पर कार्य करता है। इसके संचरण में ऊर्जा की खपत अत्यंत कम होती है। यह रेडियो आवृत्ति अवरोधों से मुक्त होता है इसमें शोर अत्यंत कम, बैंडविड्थ अधिक, गति तीव्र तथा संकेतों की हानि निम्नतम होती है। ये लंबी दूरी के संचार के लिए उपयुक्त
हैं। पर इसको लगाने और रख-रखाव का खर्च अधिक होता है।
नेटवर्क की संरचना(network structure):- नेटवर्क की संरचना या स्ट्रक्चर बताता है कि नेटवर्क किस
तरह से डिजाइन किया गया है। यह नेटवर्क टोपोलॉजी रूप से भी जाना जाता है।
• नेटवर्क स्ट्रक्चर में दो स्तर होते हैं फिजिकल और लॉजिकल बस, रिंग, स्टार और हाई नेटवर्क स्ट्रक्चर के चार मुख्य प्रकार हैं। फिजिकल लेवल बताता है कि नेटवर्क के पार्ट जो फिजिकली अस्तित्व रखते है वे इस प्रकार व्यवस्थित हैं जैसे
कम्प्यूटर केबल और कनेक्टरे
यह बताता है कि नेटवर्क में कम्प्यूटर रखे हैं और नेटवर्क के सभी पार्ट आपस में
किस तरह जुड़े हुए हैं। नेटवर्क इंफॉर्मेशन ट्रांसफर करने के लिए केवल सबसे
लोकप्रिय माध्यम है।
• लॉजिकल लेवल उस रास्ते के बारे में बताता है जिसके जरिए इंफॉर्मेशन नेटवर्क में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचती है। यह कई बातों पर निर्भर करता है कि जैसे कि कौन-सा एप्लीकेशन इस्तेमाल हो रहा है और नेटवर्क में इंफॉर्मेशन किस रफ्तार से ट्रांसफर हो रही है।
कम्प्यूटर इंफॉर्मेशन को इलैक्ट्रिकल सिग्नल का आदान प्रदान कर शेयर करते हैं। सिग्नल ट्रांसमिशन मोडियम के रास्ते भेजे जाते हैं जो कम्प्यूटरों को जोड़ता है।
स्टार नेटवर्क स्ट्रक्चर (star network structure):- नेटवर्क सबसे आम कम्प्यूटर नेटवर्क टोपोलॉजी में से
एक है।
• इसमें कम्प्यूटर एक केंद्रीय नेटवर्क कनेक्टर से जुड़े रहते हैं जो आमतौर पर एक
हब या स्विच होता है।
नेटवर्क में शामिल किसी भी कम्प्यूटर द्वारा कम्प्यूटर को भेजी जाने वाली सूचनाएं हब या स्विच से होकर ही जाती है। स्टार नेटवर्क में प्रत्येक कम्प्यूटर को जहां तक समय हो सेंट्रल नेटवर्क कनेक्टर के पास होना चाहिए। कम्प्यूटर और कनेक्टर कै बीच केवल की लंबाई 100 मीटर से कम होनी चाहिए। हब या स्विच आमतौर पर
24 कम्यूटरों तक से जुड़े होते हैं। एक बड़ी इमारत में फैले ऑफिस में यह क गया है कि इमारत की हर मंजिल पर अपना खुद का एक विच या हब है या स्विच इस तरह एक बड़े लोकल एरिया नेटवर्क से जुड़े हो सकते है।
लीनीयर बस स्ट्रक्चर या टोपोलोजी(Linear Bus Structure or Topology):- एक नेटवर्क वह स्ट्रक्टर है जिस क्लाइंट कम्प्यूट का पूरा का पूरा सेट एक संयुक्त कम्युनिकेशन लाइन से जुदा
है। एक समय में केवल एक कम्प्यूटर सूचना भेज सकता है।
• जय कम्प्यूटर इंफॉर्मेशन ट्रांस्फर करता है तो वह इंफॉमेशन को पूरी में घूमती है। जिस कम्प्यूटर को इंफॉमेशन भेजी गई है वह उसे रिसीव
सेता है।
स्टार वायर्ड रिंग स्ट्रक्चर या टोपोलोजी(Star Wired Ring Structure or Topology):- रिंग नेटवर्क कम्प्यूटर नेटवर्क को यह टोपोलॉजी है जिसमें प्रत्येक मोड दो अन्य नोड्स से जुड़ी होती हैं और इस कार कर
एक रिंग बन जाती हैं।
• जब कोई नोड मैसेज रिसीव करती है तो यह उस मैसेज के साथ जुड़े पक परखती है। रिंग इस तरह भी डिजाइन हो सकती है जिसमें किसी माल अथवा फेल गोड को बाईपास किया जा सके। इंफॉर्मेशन इसमें केवल एक दिश
में गति करती हैं।
• जब कोई कम्प्यूटर इंफॉर्मेशन भेजता है यह उस इंफॉर्मेशन को अगले कम्प्यूटर को भेजता है। उस इंफॉर्मेशन के साथ जो जुड़ पाता अगर अगले कम्प्यूटर का नहीं है तो वह उस इंफोर्मेशन को आगे के कम्प्यूटर में भेज देता है।
यह इंफॉर्मेशन एक के बाद एक कम्प्यूटर ऐसे ही अगले कम्प्यूटर को भेजते रहते
है जब तक कि वह कंम्प्यूटर न आ जाए जिसका पता उस इंफॉर्मेशन के साथ
बुड़ा है।
वाइड एरिया नेटवर्क या ट्री स्ट्रक्चर या टोपोलोजी(wide area network or tree structure or topology):- वाइड एरिया नेटवर्क आमतौर पर हाइब्रिड नेटवर्क ही होता है। एक बड़ा नेटवर्क बनाने के लिए यह नेटवर्क
कई तरह के स्ट्रक्चर से जुड़ा होता है।
• उदाहरण के लिए एक कंपनी अपने एक ऑफिस में स्टार नेटवर्क स्ट्रक्चर अपन सकती है, तो दूसरे में बस नेटवर्क स्ट्रक्चर से अलग-अलग नेटवर्क हाइब्रिड
नेटवर्क बनाने के लिए माइक्रोवेव या सैटेलाइट से जुड़े हो सकते हैं।
फिजीकल टोपोलॉजी
लीनीयर बस
तार
प्रोटोकॉल
इथरनेट लोकल
स्टार स्ट्रकचर
फाइवर स्टार व्ययर्ड रिंग
को-एक्ल ट्वीस्टेड पेपर तार ट्वीस्टेड पेयर
ट्वीस्टेड पेयर को-एक्सीयर ट्वीस्टेड पेयर
फाइबर
इथरनेट लोकल
टोकेन रंग इथरनेट नेटवर्किंग के लिए आवश्यक हार्डवेयर
कम्प्यूटर :- नेटवर्क का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ना। जब कम्प्यूटर जुड़े रहते हैं तो हो लोग उनका इस्तेमाल करते हैं वे ज्यादा प्रभावी ढंग से कार्य कर सकते हैं। नेटवर्क से जुड़ने वाले सभी कम्प्यूटर एक जैसे हाँ यह जरूरी नहीं है। उदाहरण के लिए नेटवर्क में डेस्कटॉप कम्प्यूटर जैसे आई.बी.एम. कम्पेटिबल और मैकिटीश कम्प्यूटर अथवा पोर्टेबल कम्प्यूटर जैसे कि नेटबुक और पर्सनल डिजिटल असिस्टैंड (PDA) शामिल हो सकते हैं।
सर्वर (Server):- ऐसा कम्प्यूटर जो अपने से जुड़े हुए कम्प्यूटरों को सूचनाएं उपलब्ध कराता सर्वर कहलाता है जैसे वेब सर्वर, मेल सर्वर और LAN सर्वर टिपिकल सर्वर वह कम्प्यूटर सिस्टम है जो नेटवर्क में लगातार चलता रहता है और नेटवर्क से जुड़े अन्य
कम्प्यूटरों द्वारा सेवाएं मांगने का इंतजार करता है। कई सर्वर इस भूमिका के प्रति
समर्पित रहते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जिनका इस्तेमाल अन्य कार्यों के लिए भी
किया जा सकता है। उदाहरण के लिए एक छोटे ऑफिस में एक बड़ा डेस्कटॉप
कम्प्यूटर एक व्यक्ति के लिए डेस्कटॉप वर्कस्टेशन की तरह और बाकी कम्प्यूटरों के
लिए एक सर्वर की तरह कार्य कर सकता है। सर्वर फिजिकली आजकल आम उपयोग में आने वाले कम्प्यूटर की तरह ही होते हैं हालांकि यदि वे सर्वर को भूमिका के प्रति समर्पित हैं तो उनका हार्डवेयर संघटन इस भूमिका पर खरा उतरने के लिए थोड़ा भिन्न हो सकता है। हार्डवेयर ज्यादातर वैसे ही होते हैं जो स्टैंडर्ड कम्प्यूटर में इस्तेमाल होते हैं हालांकि सर्वर के सॉफ्टवेयर डेस्कटॉप कम्प्यूटर और वर्कस्टेशन में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयरों की अपेक्षा काफी अलग होते हैं।
सर्वर हार्डवेयर रिसॉसेज का मेजबान होता है। इन्हें वह क्लाइंट कम्प्यूटरों को नियंत्रण
और शेयर करने के लिए उपलब्ध कराता है। जैसे प्रिंटर (प्रिंट सर्वर) और फाइल
सिस्टम (फाइल सर्वर ) यह शेयरिंग एक्सेस कंट्रोल और सिक्योरिटी के लिहाज से
काफी अच्छी होती है और हार्डवेयर के डुप्लीकेशन से बचाकर खर्चा भी काफी कम
कर देती है।
नेटवर्क इंटरफेस कार्ड(network interface card):- एक एक्सपेंशन कार्ड अथवा अन्य उपकरण जो कम्प्यूटर और अनय उपकरणों जैसे कि प्रिंटर को नेटवर्क एक्सेस करने की सुविधा मुहैया कराता है। नेटवर्क इंटरफेस कार्ड, कम्प्यूटर और फिजिकल मीडिया जैसे कि केबल जिसके माध्यम से ट्रांसमिशन होता है के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता है।
कनेक्टर(connector):- कनेक्टर एक ऐसा उपकरण है जो दो नेटवकों को आपस में जोड़ता है। सबसे आम कनेक्टर हैं हब, ब्रिज और राउटर
केबल्स(Cables):- तारों का समूह अथवा ग्लास वायर अथवा फलैक्सिबल मेटल | सभी कंबल
इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल की जाती हैं और प्लास्टिक अथवा रबर से घिरी होती हैं।
रिसोर्स(resource):- कम्प्यूटर सिस्टम अथवा नेटवर्क का कोई भी पार्ट जैसे डिस्क ड्राइव, प्रिंटर
अथवा मेमोरी जो किसी प्रोग्राम को आवंटित हो सकते हैं या उस प्रक्रिया को जो चल
रही है।
नेटवर्क प्रिंटर(Network printer):- प्रिंटर नेटवर्क से जुड़े रहते हैं ताकि प्रिंटिंग की लागत कम हो सके। यदि नेटवर्क प्रिंटर का इस्तेमाल न किया जाए तो हर यूजर को अपने अलग प्रिंटर की जरूरत होगी।
ज्यादातर नेटवर्क प्रिंटर नेटवर्क एडेप्टर का इस्तेमाल कर नेटवर्क से सीधे जुड़े होते हैं।
नेटवर्क केवल का प्लग नेटवर्क एडेप्टर में लगा होता है जो कि प्रिंटर के पीछे होता है।
ज्यादातर नेटवर्क प्रिंटर कई तरह के नेटवकों से जुड़े हो सकते हैं।
प्रिंटर सर्वर(Printer ):- प्रिंटर सर्वर होस्ट कम्प्यूटर या उपकरण होता है जो एक या एक से अधिक कम्प्यूटरों से जुड़ा होता है। यह अपने नेटवर्क में जुड़े क्लाइंट कम्प्यूटरों से प्रिंट के लिए जॉब लेता है और इसके बाद यह उस डाटा को उसके मुताबिक प्रिंटर पर भेजकर उसका प्रिंट निकलवाता है।
वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल(voice over internet protocol):- वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल जिसे VoIP,
IP टेलीफोनी, इंटरनेट टेलीफोनी, ब्रॉडबैंड टेलीफोनी, ब्रॉडवेंड फोन और वॉयस ओवर ब्रॉडबैंड भी कहा जाता है। इंटरनेट पर अथवा किसी अन्य IP आधारित नेटवर्क के जरिए होने वाले वॉयस कनवरसेशन की रूटिंग अथवा रास्ता है। IP नेटवर्क में बॉयस सिग्नल को ले जाने वाले प्रोटोकॉल आमतौर पर वॉयस ओवर IP अथवा VolP कहलाते हैं। यह ज्यादा नयी तकनीक है।
टेलीफोन सिस्टम(Telephone System):- एक VoIP सिस्टम नेटवर्क के लोगों को यह सुविधा देता है कि वे परंपरागत टेलीफोन सिस्टम के स्थान पर नेटवर्क का इस्तेमाल फोन कॉल के लिए करें एक कंपनी अपने पूरे टेलीफोन सिस्टम को बदलकर VolP सिस्टम अथवा इंटीग्रेट VoIP को उसके साथ जोड़ सकती है। इससे नेटवर्क के लोग दूसरे नेटवर्क के गों से VolP सिस्टम की मदद से बात कर सकते हैं जबकि नेटवर्क से बाहरी व्यक्तियों से बात करने के लिए परंपरागत टेलीफोन लाइनों का प्रयोग कर सकते हैं।
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर (hardware and software):- VoIP सिस्टम को इस्तेमाल करने के लिए इसके लिए समर्पित हार्डवेयर और विशेष सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है। Voll सिस्टम हन जैसा ही एक उपकरण इस्तेमाल करता है ताकि नेटवर्क के जरिए होने वाली फोन कॉल्स को मैनेज कर सके। VoIP सॉफ्टवेयर इसलिए जरूरी है ताकि नेटवर्क में होने वाले वॉयस कम्युनिकेशन को गुणवत्ता और क्षमता को मोनीटर और मेंटेन किया जा सके।
माइक्रोवेव (Microwave):- इसमें अति उच्च आवृति (2 से 40 गीगा हर्द वाली विद्युत चुंबकीय तरंगों के संप्रेषण से संचार स्थापित किया जाता उच्च आवृत्ति होने के कारण इसमें कम लंबाई के पाराबोलिक एंटीना का प्रयोग किया जाता है। चूंकि उच्च आवृत्ति की तरंगें किसी बाधा को पार नहीं कर सकती, अतः प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों के एंटीना सीधी रेखा में होनी चाहिए। इस कारण माइक्रोवेव में प्रत्येक 25-30 किमी. के बीच एक रिपिटर स्थापित करना पड़ता है टेलीविजन प्रोग्राम का प्रसारण इसी माध्यम से किया जाता है।
मॉडुलेशन (Modulation):- डिजिटल संकेतों (Digital Signals) को संचार माध्यमों पर भेजने के लिए एनालॉग संकेतों (Analog Signals) में बदलने की प्रक्रिया मॉडुलेशन कहलाता है। एनालॉग संकेतों के तीन गुण होते हैं,
आयाम (Amplitude),
आवृत्ति (Frequency) तथा कला (Phase) |
इन्हीं के आधार पर माडुलेशन की तीन विधियां हैं-
(i) आवाम मॉडुलेशन (Amplitude Modulation):- इसमें बाहरी संकेतों (0 और 1) के लिए दो आयाम निर्धारित किए जाते हैं। इसमें एनालॉग संकेतों के आयाम को डिजिटल संकेतों के अनुसार बदला जाता है, जबकि आवृत्ति और फेज नियत रहते हैं।
(ii) आवृत्ति मॉडुलेशन (Frequency Modulation) :- एनालॉग संकेतों की आवृति को डिजिटल संकेतों (0 और 1) के अनुसार बदला जाता है जबकि आयाम और फेज नियत रहते हैं।
(iii) कला मॉडुलेशन (Phase Modulation) :- इसमें एनालॉग संकेतों के कला (Phase) को डिजिटल संकेतों के अनुसार बदला जाता है जबकि आयाम और आवृत्ति नियत रहता है।
डाटा प्रेषण सेवा (Data Transmission Service):- भारत में प्रमुख
डाटा प्रेषण सेवा प्रदाता जिन्हें, Common Carriere भी कहते हैं, हैं-
(VSNL) विदेश संचार निगम लिमिटेड
(BSNL) भारत संचार निगम लिमिटेड
(MTNL) महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड:
इनके द्वारा प्रदत्त मुख्य सेवाएं हैं-
(i) डायल अप लाइन (Dialup line):- इसे स्विच्ड लाइन (Switched line) भी कहते हैं तथा इसका उपयोग टेलीफोन की तरह नम्बर डायल कर संचार स्थापित करने में किया जाता है।
(ii) लीज्ड लाइन (Leased line):- इसे व्यक्तिगत या सीधी लाइन (Private or dedicated line) भी कहते हैं। इसमें दो दूरस्थ कम्प्यूटरों को एक खास लाइन से सीधे जोड़ा जाता है। इसका प्रयोग आवाज और डाटा (Voice and Data) दोनों के लिए किया जा सकता है। इस सेवा का मूल्य लाइन की क्षमता, जिसे वॉड या बीपीएस में मापते हैं, और दूरी पर निर्भर करता है।
बेतार तकनीक (Wireless Technology):- केबल के खर्चीला होने तथा रखरखाव की समस्या के कारण विभिन्न कम्प्यूटर को नेटवर्क से जोड़ने के लिए बेतार तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है।
वाई मैक्स (WIMAX-World Wide Interoperability for - Microwave Access) :- यह लंबी दूरी के लिए बेतार की सहायता से डाटा का संचरण संभव बनाता है इसकी विशेषता संचार माध्यम का विशाल बैंड (ब्राडबैंड) है। वाई मैक्स 3.3 से 3.4 GHz के बीच कार्य करता है।
वायरलेस लोकल लूप (WLL-Wireless Local Loop) :- यह स्थानीय बेतार तकनीक है जिसमें बड़ा बैंडविड्थ तथा उच्चगति के डाटा संचरण के साथ टेलीफोन की सुविधा भी प्रदान की जाती है यह नेटवर्क के लिए एक लोकप्रिय साधन होता जा रहा है।
बैंडविड्थ (Band Width) :- डाटा के संचारण के समय माध्यम में उपलब्ध उच्चतम और निम्नतम आवृत्ति (higher and lower frequency) की सीमा बैंडविड्थ कहलाती है। बैंडविड्थ जितना अधिक होगा, डाटा का संचारण उतना ही तीव्र होगा। इसका आशय संचार माध्यम की सूचना वहन करने की क्षमता से होता है।
बॉड (Baud):- यह डाटा संचारण की गति को मापने की इकाई है। इसे विट प्रति सेकेण्ड भी कहा जाता है।
ब्रॉडबैण्ड (Broad Band):- इस सेवा का उपयोग तीव्र गति से अधिक डाटा के संचारण के लिए किया जाता है। इसमें डाटा स्थानान्तरण की गति एक मिलियन (दस लाख) बाँड या इससे अधिक हो सकती है। वर्तमान में इंटरनेट के लिए ब्रॉडबैण्ड सेवा का प्रयोग किया जा रहा है।
अक्टूबर 2004 में घोषित भारत सरकार की ब्राडबैंड नीति के अनुसार 256 किलोबाइट प्रति सेकेण्ड (KBPS) क्षमता को ब्राडबैण्ड के रूप में परिभाषित किया गया है।
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