डाटा बेस मैनेजमेंट सिस्टम (Data Base Management Systems)
Data base management |
कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी के शुरुआती दौर में डाटा को डाटा फाइल में रखा जाता था। प्रोग्राम लिखा जाता था जिससे रिपोर्ट बनता था। इस तरह की व्यवस्था में प्रत्येक नये application के लिए मझे हुए प्रोग्रामर की आवश्यकता होती थी जो अपने application का अध्ययन करने में बहुत ही कम समय लेता था। किसी कम्पनी में प्रोग्रामर की कमी होने के कारण विभिन्न विभागों द्वारा मांगे गए तथ्यों को पूरा नहीं किया जा पाता जिसके कारण संख्या में back log बढ़ जाता था। |
• दुनिया भर के कम्प्यूटर प्रोफेशनल इस समस्या से अवगत थे और इससे निजात पाने में लिए शोध में लगे हुए थे। (उनको भिन्न प्रोग्राम के लिए अलग-अलग command देना होता था) यह सोचा गया कि अगर कम्प्यूटर को पूर्ण रूप से कार्य में लाया जाय या लोगों के बीच अगर पॉपुलर करना है तो कम्प्यूटर को एक दोस्त के रूप में लेना होगा।
• दोस्ती तब होगी जब उसका application सहज हो। धीरे-धीरे command सहज होते गए और फाइल मैनेजर के capability को बढ़ाया गया। सबसे पहले हम डाटा बेस के बारे में जानेंगे।
डाटा बेस क्या है?
सरलतम शब्दों में, डाटाबेस सूचनाओं (या डाटा) का एक ऐसा व्यवस्थित संग्रह (Organised Collection) होता है, जिसमें हम किसी भी सूचना से प्राप्त कर सकते हैं। टेलीफोन डायरेक्टरी सरल डाटा बेस का एक अच्छा उदाहरण है। इसकी हर पंक्ति में तीन सूचनाएं होती हैं-नाम, पता और टेलीफोन नं डाटाबेस की शब्दावली में इसकी प्रत्येक पंक्ति को एक रिकार्ड (Record) कहा जा सकता है। हर रिकॉर्ड में जितनी सूचनाएं होती हैं, उन्हें डाटा फील्ड ( Data Field) या केवल 2 फील्ड (Field) कहा जाता है। प्रत्येक फौल्ड का एक निश्चित नाम होता है, जिससे उसे पहचाना जाता है। डाटा बेस में हर रिकॉर्ड का स्थान निश्चित होता है। इस प्रकार टेलीफोन डायरेक्टरी के डाटा बेस में तीन फील्ड तथा हजारों रिकॉर्ड होते हैं। यों तो डाटा बेस कई प्रकार का होता है, परन्तु इसका सबसे सरल और प्रचलित रूप (सारणियों (Tables) की तरह होता है। ऐसी प्रत्येक सारणी में एक निश्चित संख्या में फोल्ड होते हैं और हर रिकॉड में सभी फील्ड भरे होते हैं, भले ही उसमें शून्य(Zeros) या खाली स्थान (Spaces) भरे हों। एक्सेल वर्कशीट में भी हम केवल इसी तरह के डाटाबेस बना सकते हैं और उनका उपयोग कर सकते हैं। एमएस एक्सेल डाटाबेस में प्रयोग किए जाने वाले कुछ शब्द और उनका तात्पर्य इस प्रकार है:
डाटाबेस रेंज (Database Range):- किसी वर्कशीट की रेंज में डाटाबेस बना होता है (अर्थात् डाटा भरा होता है उसे डाटाबेस रेंज कहा जाता है। एमएस एक्सेल ज्यादातर स्वयं ही डाटाबेस रेंज तय कर लेता है। वैसे आप चाहें तो उसे बदल भी सकते हैं। ऐसी स्थिति में केवल रेंज में आने वाले रिकाडाँ पर ही क्रियाएं की जाएंगी।
रिकॉर्ड (Record):- एक्सेल में डाटाबेस रेंज की प्रत्येक पंक्ति को एक रिकॉर्ड माना जाता है।
डाटा बेस रेंज की पहली पंक्ति (यहां दूसरी पंक्ति) में हमेशा कालमों के शीर्षक भरे जाने चाहिए, जिनका प्रयोग एक्सेल डाटाबेस के फील्ड नामों की तरह करता है। इस फील्ड नामों में बीच में रिक्त स्थान भी हो सकते हैं।
फील्ड (Field) :- एमएस एक्सेल में किसी डाटाबेस के प्रत्येक कॉलम को एक फील्ड कहा जाता है। प्रत्येक अकेले सेल को भी फील्ड ही माना जाता है। आप किसी फील्ड में संख्या, तारीखें, फंक्शन और फार्मूले भर सकते हैं। जब किसी फील्ड पाठ्य. में कोई फंक्शन या फार्मूला भरा होता है, तो उसे गणनाकृत फील्ड (Computed Field) कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने एक फील्ड Total Pay बनाया है और कोई दूसरा फील्ड 'Deduction' है, तो आप Net Pay' नाम का एक तीसरा फील्ड भी बना सकते हैं, जिसके मान की गणना उन दो फील्डों के आधार पर की गयी हो।
डाटाबेस मैनेजमेन्ट की विशेषताएं:- साधारण डेटाबेस से डाटाबेस मैनेजमेन्ट निम्न प्रकार से भिन्न है-
ऑपरेशन मोड (Operation modes) :- इसमें हम Command driven mode menu-driven mode v programme driven mode करते हैं। कुछ में ये तीनों modes का समन्वय होता है।
कमांड मोड (The command mode):- प्रयोग करने वाला इसमें डाटाबेस मैनेजमेंट प्रणाली को देता है और इसके लिए विशेष प्रकार के तकनीकी ज्ञान की जरूरत होती है। इस कारण यह लोगों में पॉपुलर नहीं है। मीन्यू ड्राइवेन मोड (Menu driven mode) : इस प्रणाली में सारी choice स्क्रीन पर दिखाई देती है और प्रयोग करने वाला आसानी से अपना काम कर सकता है। इसके लिए विशेष तकनीकी ज्ञान की जरूरत नहीं होती थी।
प्रोग्राम मोड (Program mode) :- जब बृहत्त डाटा प्रोसेसिंग की जरूरत है, तब यह mode प्रयोग में लाया जाता है।
डाटा ऐसेस (Data Access):- डाटाबेस सिस्टम में डाटा का access [सहन तरीके से होना चाहिए। इसमें डाटा का modification, adding, searching एवं रिपोर्ट की तैयारी सहजता से होनी चाहिए।
हेल्प फेसिलिटी (Help fecility) :- इस व्यवस्था में प्रयोग करने वाले को On line मदद मिलती है। डाटाबेस मैनेजमेंट में खर्च कम होते हैं तथा security एवं Privacy भी बरकरार रहती है।विभिन्न प्रकार के फाईल (Types of File)
1.सिकुएनसियल फाईल (Sequential File) :- इस प्रकार के File में records जिस order में में रखा गया है उसी order में देखना जरूरी है। किसी रिकॉर्ड को by pass नहीं किया जा सकता। अगर फाइल में कुछ update करना हो तो फाइल को दोबारा लिखना पड़ेगा।
2. रेनडम ऐसेस फाइल (Random Access Files) :- इससे कहीं भी कुछ भी देखा जा सकता है। जैसे रेल आरक्षण के लिए बुकिंग की जानकारी सेकेण्ड के अन्दर आती है। दो तरह के random file होते है। 1. Indexed file 2. Index sequential file
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