Financial Accounting के संक्षिप्त तकनीक शब्द-
अनेक शब्दों का प्रयोग होता है निम्नलिखित तालिका मे सामन्यतः प्रयोग किए जाने वाले शब्द एवं इसके लघुरूप के बारे मे जानेंगे।Accounting कि प्रमुख किताबे:- Accounting के लिए अनेक तरह कि किताबे की आवश्यकता होती है प्रत्येक संस्थान मे ये किताबे लगभग समान्यतः रूप से ही प्रयोग कि जाती है लेकिन कुछ किताबे का प्रयोग संस्थान कि जरूरत पर निर्भर करता है।
Financial Accounting मे प्रयोग कि जाने वाली प्रमुख किताबे निम्नलिखित है।
Day BookBill Book
Cash Book
Ledger Book
Sales Book
Purchase Ragister
Statement of Cheque Received
Challan Book
Bill File For Purchase
Bank Reconsilation Statement
Debit Note
Credit Note
Voucher Book
* Financial Accounting System-
Financial Accounting एक निश्चित क्रम मे कि जाती है Financial Accounting मानवीय रूप कि जा रही है आथवा कंप्यूटर के द्वारा(tally) सभी मे यह कार्य अवश्य करने होते है Financial Accounting मे सबसे पहले किसी भी Transaction का Voucher बनाया जाता है उसके बाद ही उस Voucher कि एंट्री सम्बंधित किताब Day Book, Cash Book, Ledger Book आदि मे कि जाती है इस अध्याय मे हम Voucher सम्बंधित सभी जानकारी से पढ़ेंगे।
Voucher
Financial Accounting के इस प्रपत्र पर संपूर्ण Accounting system पर आधारित है Financial Accounting के लिए Voucher बनाया जाता है Voucher समान्यतः पाँच भागो मे बाँटा जाता है।
Voucher के उपरी हिस्से मे उस ट्रेंडिग संस्थान का नाम लिखा होता है जिस संस्थान की ये इसका प्रयोग किया जाता है इसी हिस्से के लिए संस्था के लिए स्थान दिया जाता है। Voucher बनाते समय Voucher के संस्था आने दिये गये स्थान पर लेन-देन की तिथि को जिसकी voucher बनाया जाता है उसे लिख दिया जाता है Voucher के नीचे दो हिस्से होते है पहला डेबिट का और दूसरा क्रेडिट का डेबिट वाले भाग मे संस्थान को जिस कार्य के लिए रकम प्राप्त हुई रहती है वह रकम प्राप्त हुई होती है जबकि क्रेडिट वाले भाग मे जहाँ से रकम मिलती है उसे लिखा जाता है दोनो तरफ रकम मात्रा समान होनी चाहिए।Voucher के नीचे भाग मे voucher बनाने वाले voucher के पास करने वाले एवं voucher से भुगतान प्राप्त करने वाले के हस्ताक्षर एवं दस्तखत होती है।
Voucher के बाई ओर के हिस्से मे voucher की रकम एवं किस मे इस रकम का Transaction किया जाता है उसमे लिखा जाता है समान्यतः रूप से प्रयोग मे लाया जाने वाला voucher की नीचे दिये गये चित्र दर्शाया गया है।
Voucher कितने प्रकार के होते है-
Accounting मे ज्यदातर छः प्रकार Voucher का उपयोग होता है और कंप्यूटर Accounting मे इन्ही का ज्यदातर उपयोग होता है
ये सात प्रकार के Voucher निम्नलिखित है-
Cash Voucher
Bank Voucher (contra voucher in tally)
Purchase Voucher
Sale Voucher
Cheque Return Voucher
Credit Note Voucher(Sales Return)
Debit Note Voucher (Purchase Return)
Cash Voucher
किसी भी Cash Transaction के लिए किसी भी Cash Voucher कहलाता है समान्य system मे किसी भी Cash Transaction के समय ही Cash voucher बना लेना ही उचित होता है समान्यतः Financial Accounting मे निम्नलिखित Cash Voucher को प्रयोग मे लाया जाता है।
(A) Cash Expenses (Payment Voucher)
(B)Received Cash Voucher
(C) बैंक मे कैश जमा करने का Voucher
Cash Deposite in Bank-
बैंक मे जमा करने का वाउचर कोई भी व्यक्ति या संस्था जब नगद बैंक मे जमा करती है तो उसे जमा करने के लिए बैंक मे deposite का वाउचर बनाना होता है इस वाउचर मे बैंक Account को Dr. और Cash Book को Cr.किया जाता ह।
Cash without from bank Voucher-
यह Voucher बैंक मे कैश जमा करने के विपरीत होता है जिस तरह हमने बैंक मे नगद रुपये जमा कराने का Voucher बनाया जाता है
उसी तरह से नगद रकम निकाले पर भी Voucher बनाया जाता है इन दोनो तरह के voucher मे अंतर केवल इतना है की नगद रकम deposite करने पर बैंक को डेबिट किया जाता है तथा कैश को Cr. किया जाता है जबकि इसके विपरीत बैंक मे नगद राशि निकालने पर बैंक को Cr. और कैश को डेबिट किया जाता है।
Debit what come in and Credit what goes out, Cash Expenses or
Payment Voucher-
यह किसी भी तरह के नगद खर्च या voucher के लिए बनाया जानेवाला Voucher है
मान लीजिए कि C.K Computer Zone ने अपने कर्मचारी चंदन कुमार को अप्रैल माह का वेतन 400 रूo नगद भुगतान किया तो Entry Cash Expenses या Payment मे जो निम्न प्रकार है।
Salary A/C Dr.-400
To Cash a/c -400
Cash Received Voucher-
किसी तरह के Cash Received के लिए Cash Received Voucher बनाया जाता है
Cash Received Voucher मे Cash Book को डेबिट किया जाता है और जिस व्यक्ति या संस्था जो हमे Cash मिलता है या कैश कि प्राप्ति होती है क्रेडिट किया जाता है।
Cash Received Voucher मे Cash Book को डेबिट किया जाता है और जिस व्यक्ति या संस्था जो हमे Cash मिलता है या कैश कि प्राप्ति होती है क्रेडिट किया जाता है।
Bank Voucher-
किसी पार्टी को चेक द्वारा पेमेंट करने आथवा पार्टी द्वारा दिया गया चेक आथवा Demond Draft Bank मे कराने पर बनाये जाने वाला Voucher को Bank Voucher कहा जाता है।
किसी पार्टी को चेक द्वारा पेमेंट करने आथवा पार्टी द्वारा दिया गया चेक आथवा Demond Draft Bank मे कराने पर बनाये जाने वाला Voucher को Bank Voucher कहा जाता है।
Bank Voucher दो प्रकार के होते है-
1.Cheque Issue Voucher
2. Cheque Deposite Voucher
(1.) किसी पार्टी को चेक द्वारा भुगतान कराने पर हमे चेक Issue Voucher बनाया होता है इस तरह के Voucher मे डेबिट वाले हिस्से मे उस व्यक्ति आथवा पार्टी का नाम लिखा जाता है जिसको भुगतान किया जा रहा है इस हिस्से मे आथवा व्यक्ति का नाम के संख्या चेक संख्या या चेक किस उदेश्य से काटा जा रहा है। यह जानकारी भी दी जाती है इस voucher को credit वाले हिस्से मे बैंक का नाम लिखा जाता है बैंक के नीचे चेक संख्या पार्टी का नाम एवं चेक देने उदेश्य के बारे मे जानकारी भी दी जाएगी। जैसे-
मान लीजिए C.K computer Zone ने दिल्ली का पार्टी को Asian Publisher को 1000 किताबो का भुगतान चेक द्वारा उसकी entry निम्न प्रकार होगी।
Asian Publisher A/C Dr.-2000
To Bank A/C -2000
2. Cheque Deposite Voucher -
किसी पार्टी से प्राप्त चेक द्वारा भुगतान प्राप्त करने पर उस चेक को बैंक मे Deposite कराना है चेक हो बैंक मे Deposite Voucher बनाना होता है यह Voucher Cheque Issue मे विपरीत बनाया जाता है Cheque Deposite Voucher के डेबिट वाले हिस्से मे
Bank का लाभ लिखा जाता है बैंक के नाम के नीचे चेक संख्या पार्टी का नाम आदि के बारे मे जानकारी दी जाती है इस voucher मे Credit वाले हिस्से मे उस पार्टी या व्यक्ति का नाम लिखा जाता है जिस व्यक्ति से चेक प्राप्त किया जाता है और इस हिस्से मे Amount वाले स्थान पर चेक की रकम लिखी जाता है।
Credit Sale Voucher-
किसी कम्पनी के द्वारा दी गयी उधार विक्री के लिए Credit Sale Voucher बनाया जाता है इसे Voucher के डेबिट Side मे उस व्यक्ति को डेबिट किया जाता है जिसके नाम से बिल(Bill) बनाया जाता है और Credit Side मे Sale A/C को किया जाता है इसी हिस्से मे बेचे गये समान का जिक्र भी किया जाता है जैसे-
मान लीजिए C.K computer Zone ने 2000 रूo मे दुर्गा Computer से laptop बेचा
Durga Computer A/C Dr. -2000
To Sale A/C -2000
Cheque Return Voucher-
जब किसी कारण चेक बैंक के पास नही हो पाता है और Return आ जाता है तो इसके लिए भी Cheque Return Voucher बनाया जाता है चेक के पास हुए Return आने की स्थिति मे हमारे बैंक हमसे बीत हम भी लेते है। ऐसी अवस्था मे दो Voucher बनाने के पहले Voucher मे पार्टी को Dr. और बैंक को Credit किया जाता है इस Voucher मे पार्टी के नाम और बैंक के नीचे क्रमशः तो एवं By का प्रयोग करते हुए Cheque Return लिखा जाता है दूसरे Voucher को डेबिट वाले हिस्से मे बैंक एम्पसेस (Empase) और क्रेडिट वाले हिस्से मे बैंक को किया जाता है इन दोनो Voucher को एक Voucher पर बनाया जा सकता है।
Debit Note Voucher-
किसी पार्टी से भुगतान कम प्राप्त होता है आथवा Bill बनाने मे हुई चूक के कारण बिल वास्तविक Amount से कम बन गया हिस्से तो इन दशाओं मे हमे पार्टी को एक पत्र भेजना होता है जिससे प्राप्त रकम और बिल की वास्तविक रकम ये अंतर को स्पस्ट किया जाता है और यह बताया जाता है कि अभी इतनी रकम पार्टी से प्राप्त होनी शेष है इसी पत्र करे Debit Note कहा जाता है इस Deposite Note कहा जाता है इस Deposite Note से बनाये जाने वाले Voucher को Debit Note Voucher कहा जाता है उस Voucher को Debit Note A/C को Debit और पार्टी को Credit किया जाता है।Note:- इसके आलावा हमारे द्वारा बेचे गये माल मे से कुल माल जब पार्टी को किसी कारण वश वापस कर देती है। तो ऐसी स्थिति मे भी Deposite Note Voucher बनाया जाता है। उदाहरण के लिए-
मान लीजिए हमारे द्वारा किसी पार्टी को 500 का माल बेचा गया और उसमे से पार्टी किसी कारण वश 100 रूo का माल देती है तो ऐसी स्थिती मे हम 100 रूo का Deposite Note Voucher Ready करते है।
Credit Note Voucher-
जब किसी पार्टी से भुगतान अधिक प्राप्त हो गया हो आथवा पार्टी से कुछ माल Return गया हो तो इस दशा मे हमे पार्टी को एक लेटर भेजना होता है जिसमें प्राप्त रकम के अंतर को स्पस्ट किया जाता है और यह बताया जाता है की पार्टी से इतनी रकम अधिक प्राप्त की गयी है आथवा पार्टी से Return आए माल की कीमत बताई जाती है इसी लेटर को Credit Note Voucher कहा जाता है जाने वाले Voucher का Cr. No. Voucher कहा जाता है इस Voucher से पार्टी को डेबिट तथा क्रेडिट किया जाता है साथ ही Credit Note का क्रमांक भी लिखा जाता है।
Challan Book-
जब किसी पार्टी को माल बेचा जाता है यहाँ पर माल विक्रय पार्टी द्वारा जाचनें के बाद ही पूर्ण होता है तो उस पार्टी को Challan द्वारा भेजा जाता है माल पार्टी द्वारा प्राप्त होने के पार्टी को स्वीकृत आने पर ही इस Challan के विरुद्ध पार्टी का बिल बनाया जाता है ऐसा इसलिए किया जाता है यदि किसी कारणवश माल Return आ जाता है विभिन्न Taxi की पूर्ति विक्रेता को ही करनी होती है Challan से माल उस दशा मे भी भेजा जाता है जब हम किसी संस्था की शाखा या एजेंट (Agent) को भेजते है।
Cash Book-
Voucher एवं Day Book मे कि गयी एंट्री को Cash Book लिखा जाता है Cash Book मे बेचे गये नगद आथवा उधार माल और फार्म द्वारा खरीदे गये माल की entry कि जाती है इस बुक मे चेक D/D और Cash द्वारा दिया गया payment और चेक D/D Cash Receive की entry भी जाती है। Entry Cash Book मे Day Book से ही लाई जाती है Cash Book मे दो तरह की entry की जाती है।
(i) Single Entry
(ii) Double Entry
Clossing Entry-
प्रत्येक Trending वर्ष के अंत मे जो माल बिकने से रह जाता है वह अंतिम Clossing Stock कहलाता है Trade a/c
कि डेबिट Side तथा Balance Sheet मे Asset Side मे।
Clossing Stock A/C Dr.
To trending A/C
Outstanding Expenses-
Trending वर्ष के अंत मे जब Lost A/C बनाए जाते है तो कुछ खर्चे इस तरह होते है जिनका सम्बन्ध चालू वर्ष से होता है लेकिन payment नही हो पाता है इनको Profit and Loss A/C से संबंधित मद्द मे जोड़कर दर्शाते है तथा Balance Sheet मे Liabilities पक्ष मे दिखाते है इन Transaction मे ज्यादा खर्चे होते है और इसके लिए निम्नलिखित Journal Entry कि जाती है।
Expenses A/C(Name) Dr.
R. O outstanding expense A/C
Prepaid Expenses-
Trade मे कुछ खर्च इस तरह होते है जिनका सम्बन्ध तो अगले वर्ष से होता है परन्तु उनका पेमेंट चालू वर्ष मे ही कर दिया जाता है इसको Profit & Loss A/C मे संबंधित मद्द से घाटा कर दिखाते है और Balance Sheet मे Asset है इसके लिए Journal निम्नलिखित Entry की जाएगी।
Prepaid Expenses A/C Dr.
To Expenses A/C
Interest On Capitals-
व्यापारी यदि अपनी पूंजी व्यवस्था मे न लगाकर किसी अन्य जगह लगता है तो उस पूँजी से ब्याज प्राप्त होता है इसी उदेश्य से अंतिम A/C बनाते समय व्यापारी अपने पूंजी पर एक निश्चित दर से ब्याज लगता है जिसे Interest On Capital कहा जाता है यह Interest A/C व्यापारी के लिए खर्च या हानि होती है इसलिए Capital पर जो Interest लगाया जाता है उस रकम से Interest A/C को डेबिट तथा Capital A/C को Credit किया जाता है Interest की रकम को डेबिट Side मे दिखाते है और Balance Sheet मे labilities Side मे Capital A/C के साथ दर्शाते है। इसकी Entry Journal निम्न प्रकार की जाएगी।
Interest A/C Dr.
To Capital A/C
Interest On Drawing-
व्यापारी समय-समय पर अपने निजी खर्चे के लिए व्यापार से रूपया निकलता है तो यह उसका Drawing A/C कहलाता है इस Drawing के द्वारा उसकी Capital कम हो जाती है अतः जब व्यापारी Capital पर Interest देनी भी चाहिए यह Interest Trade या व्यवसाय के लिए लाभ होता है जो व्यापारी के लिए व्यक्तिगत हानि होती है अतः Drawing पर जो Interest लगता है उस से Drawing A/C का डेबिट तथा interest A/C को क्रेडिट किया जाता है यह Interest Profit & Loss A/C के Credit Side की ओर लिखी जाती है इसके लिए Journal मे निम्न प्रकार से Entry की जाएगी।
Drawing A/C Dr.
To Interest A/C
Recovery Of Debits -
कभी-कभी ऐसा होता है कि एक ऋण जो नही मिलेगा मान कर Bad Debit मे डाल दिया जाता है और Profit घटा दिया जाता है परन्तु उस ऋण कुछ रकम या पूरा ऋण ही प्राप्त हो पाता है Recovery Of Debit कहलाता है तब इस रकम मे उस देनदार के A/C Credit नही करते हुए वरन इस रकम मे से Cash A/C को डेबिट तथा Recovery Of Bad Debits मे क्रेडिट किया जाता है।
Cash A/C Dr.
To Recovery of Bad Debits
Accured Income-
व्यापारी को कभी-कभी इस तरह की आय होती है जिनका संबंध चालू वर्ष से होता है लेकिन वह प्राप्त नही हो पाता है आर्थत आय का वह हिस्सा जो चालू वर्ष मे काम लिया हो लेकिन उस वर्ष प्राप्त न होकर अगले वर्ष हो Accured Income कहलाता है। जैसे-
किराय पर दिए गये भवन का किराया Share वह ऋण दस्तावेज पर Profit आदि इस तरह की आय को Profit के Credit Side मे तथा Balance Sheet के Asset पक्ष मे Accured Income के रूप मे दर्शाते है। इसके लिए Journal मे निम्नलिखित Entry की जाती है।
Accured Income A/C Dr.
(Income due but not received)
Classification Of Capital-
व्यापारी द्वारा व्यापार मे लगायी गयी पांच को निम्न हिस्से मे बटा गया है।
(i) propriter & Capital:- व्यापारी आरम्भ करने पर व्यापारी द्वारा लगायी गयी पूँजी propriter & Capital कहलाती है। यह पूंजी Profit & loss के रकम से परिवर्तन होती रहती है।
(ii) Fixed Capital:- पूंजी का वह भाग जो स्थायी सम्पति मे लगा हो Fixed Asset कहलाता है।
(iii) Floating Capital:- चल सम्पति मे लगी हुई पूँजी कहलाती है।
(iv) Loan Capital:- व्यापारी द्वारा व्यापार संचालन के लिए जो संवाद किया जाता है वह Loan Capital कहलाता है।
(v) Working Capital:- Capital का वह हिस्सा जो Fixed Asset Purchase करने के बाद शेष रह जाता है और जिसका व्यापार संचालन मे हर समय प्रयोग होता है A working Capital कहलाता है।
Tally मे Vat Accounting-
वर्तमान मे Sale Tax के स्थान पर Vat नामक Tax का Challan है इस समय देश के समस्त राज्यो ने इस Vat System को अपना लिया कुछ राज्यो ने उतर प्रदेश ने नही अपनाया है इसलिए हम Vat की basic जानकारी के बारे मे जानेंगे।
मूल संबंधित कर Vat क्या है? -
Vat कि विक्री कर का एक रूप है जो कि गंतव्य देश की सरकार इत्यादि जिस प्रदेश मे अंतिम उपभोक्ता स्थिती द्वारा उपभोक्ता व्यय पर लगाया जाता है यह राज्य के अंदर व्यापारिक खरीद विक्री के दौरान लगाया जाता है वस्तुओ की विक्री
Vat देय होता है जब उनकी विक्री:-
*ऐसे राज्यो मे कि जाती है जहाँ Vat लागू हो।
* कर योग्य व्यक्ति द्वारा कि जाती है।
* किसी व्यवसाय की प्रक्रिया विस्तार के दौरान की जाती है।
* अंतराष्ट्रीय विक्री पर कोई Vat देय नही होता है। जबकि विक्री अंतराज्य विक्री के दौरान की जाती है।
* भारत के बाहर निर्यात के लिए की जाती है।
* विशेष रूप से कर मुक्त हो।
*ऐसे राज्यो मे कि जाती है जहाँ Vat लागू हो।
* कर योग्य व्यक्ति द्वारा कि जाती है।
* किसी व्यवसाय की प्रक्रिया विस्तार के दौरान की जाती है।
* अंतराष्ट्रीय विक्री पर कोई Vat देय नही होता है। जबकि विक्री अंतराज्य विक्री के दौरान की जाती है।
* भारत के बाहर निर्यात के लिए की जाती है।
* विशेष रूप से कर मुक्त हो।
कर योग्य व्यक्ति या व्यापारी
Vat कानून के अंतर्गत कौन-कौन सी विक्रिया आती है Vat कानून के अंतर्गत आनेवाली विक्री:-
परम्परागत विक्री (यानि वस्तुओ की सम्पति का हस्ताक्षर)
किसी समिति कल्ब कर्म संस्था आथवा कम्पनी द्वारा वस्तुओ की आपूर्ति किसी कार्य अनुबंध के दौरान सम्पति का हस्ताक्षर
किराया खरीद आथवा किश्तों मे भुगतान की किसी अन्य विधि द्वारा वस्तुओ की आपूर्ति
किसी समय अवधि के लिए आथवा किसी समावधि के किसी भी परियोजना हेतु वस्तुओ के प्रयोग के हस्ताक्षरण।
राज्य से बाहर स्थिती किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर वस्तुओ की विक्री की आपूर्ति विवरण हेतु बुकिंग।
वर्तमान राज्य विक्री पर अधिनियम कर अनुबंध अधिनियम एवं अप्रयोग करने के अधिकार अधिनियम को vat कानून मे मिला दिया गया है।
किसी समिति कल्ब कर्म संस्था आथवा कम्पनी द्वारा वस्तुओ की आपूर्ति किसी कार्य अनुबंध के दौरान सम्पति का हस्ताक्षर
किराया खरीद आथवा किश्तों मे भुगतान की किसी अन्य विधि द्वारा वस्तुओ की आपूर्ति
किसी समय अवधि के लिए आथवा किसी समावधि के किसी भी परियोजना हेतु वस्तुओ के प्रयोग के हस्ताक्षरण।
राज्य से बाहर स्थिती किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर वस्तुओ की विक्री की आपूर्ति विवरण हेतु बुकिंग।
वर्तमान राज्य विक्री पर अधिनियम कर अनुबंध अधिनियम एवं अप्रयोग करने के अधिकार अधिनियम को vat कानून मे मिला दिया गया है।
केंद्रीय विक्री कर (Vat) का क्या होगा? -
केंद्रीय विक्री कर कभी इसकी वर्तमान स्थिती मे ही रखा गया अर्थात अंतराज्य विक्री पर हालांकि मूल्य संबंधित कर वसूल नही किया जाएगा लेकिन केंद्रीय विक्री कर उसी प्रकार किया रहा है केंद्रीय वैधनिक फर्म C.D.F.H आदि पहले कि तरह लागू रहेंगे हालांकि भविष्य मे फर्म के आधार पर की गई खरीद पर विक्री कर वसूली की दर वर्तमान की 4% से धीरे-धीरे घटाकर 0% करने का प्रस्ताव है एकबार यह शून्य हो जाने पर सभी राज्यो को केंद्रीय विक्री कर राजस्व गणना योग्य नही हो जाएंगे तथा विक्री कर स्वतः ही केवल गया तथ्य राज्य द्वारा वसूल किया जाएगा। इसी को केन्द्रीय विक्री कर का समापन कहा जाएगा यह चरण वध रूप से किया जाएगा।
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