What is memory and types of memory?(मेमोरी क्या है और मेमोरी कितने प्रकार की होती है?):-
- कम्प्यूटर की मेमोरी लाखों छोटे-छोटे खानों में बांटी हुई होती है, ऐसे हर को एक लोकेशन (Location) या बाइट (Byte) कहा जाता है।
- हर लोकेशन या बाइट पर विशेष क्रम संख्या पड़ी हुई मानी जाती है। उस र को बाइट का पता (Address) कहा जाता है। यह ठीक वैसे ही है जैसे म में नम्बर पड़े होते हैं।
- बाइट आठ छोटी-छोटी बीटों (Bits) की एक श्रृंखला (Series) होती हैं मेमोरी का सबसे छोटा हिस्सा बिट (Bit) कहलाता है।
- बिट को आप एक छोटा बल्ब मान सकते हैं।
- जिस प्रकार कोई बल्ब या तो जल रहा होता है या बुझा होता है, उसी तरह या तो ऑन (on) होती है या ऑफ (off) इस प्रकार किसी बिट की दो स्थि हो सकती हैं-'ऑन या 'ऑफ' इसके अलावा कोई तीसरी स्थिती नहीं सकती।
- सुविधा के लिए हम ऑन बिट को '1' लिखते हैं तथा ऑफ बिट को '0' लि हैं। कम्प्यूटर में भरा जाने वाला डाटा 1 और 0 के रूप में ही कम्प्यूटर मेमोरी रखा जाता है और उसी रूप में उस पर सारा काम किया जाता है।
- काम करने के इस तरीके को बाइनरी सिस्टम (Binary System) कहा जाता है। किसी कम्प्यूटर की मेमोरी का आकार बाइटों की संख्या में मापा जाता है
- कम्प्यूटर की मैमोरी जितनी बड़ी होती है, वह उतना ही तेज और शक्तिशा माना जाता है। 1024 बाइट को किलोबाइट (Kilobyte या K) कहते हैं।
- 1024 किलोबाइट को 1 मेगाबाइट (मेगाबाइट या MB) कहा जाता है।
11.किसी माइको कम्प्यूटर या पी.सी. की मुख्य मेमोरी का आकार 1 मेगाबाइट से 512 मेगाबाइट तक होता है।
What is RAM? (random access memory) definition(रैंडम एक्सेस मेमोरी) की परिभाषा क्या है?
रैण्डम एक्सेस मेमोरी में सूचनाओं को क्रमानुसार न पढ़कर सीधे वांछित सूचना को पढ़ा जा सकता है।
यह एक अस्थायी (Valatile) मेमोरी है जहां डाटा और सूचनाओं को अस्थायी तौर पर रखा जाता है। इसमें संग्रहित सूचनाओं को बदला जा सकता है।
कम्प्यूटर की पॉवर सप्लाई बंद कर देने पर रैम में संग्रहित डाटा समाप्त हो जाता है। आजकल बाजार में 16 MB (Megabyte), 32MB, 64 MB, 128MP 512MB तथा 1GB (Gigabyte) क्षमता के रैम उपलब्ध हैं। इन रैमचिष्या को मदरबोर्ड पर बने 'सिम्स' (SIMMs-Single Inline Memory Mod. ules) में लगाया जाता है।
RAM is mainly divided into two parts(रैम को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है)-
1. डायनॉमिक रैम (Dynamic RAM)
2. स्टैटिक रैम (Static RAM)
1. डायनॉमिक रैम (Dynamic RAM):-डायनॉमिक रैम में पॉवर सप्लाई रहने के बावजूद बहुत कम समय के लिए डाटा संग्रहीत रहते हैं। इसलिए इसे बार-बार फ्रेश (Refresh) करना पड़ता है। (DRAM) में कम पावर की जरूरत पड़ती है और यह सस्ता भी होता है।
स्टैटिक रैम (Static Ram) :- ये भी अस्थाई होता है पर इसमें डाटा रखने के जेनेरेटर ( Regenerator) की जरूरत नहीं पड़ती है। पावर सप्लाई रहने तक इसमें डाटा रहता है।
इसमें ज्यादा पावर की खपत होती है। यह ज्यादा जटिल है और जगह की जरूरत पड़ती है। स्टैटिक रैम डायनॉमिक रैम से ज्यादा तेज काम करता है। स्टैटिक रैम में 85 से 90ns समय की जरूरत होती है जबकि डायनॉमिक रैम में 150 से 200ns समय की जरूरत होती है। बड़ी मेमोरी के लिए डायनॉमिक रैम लगती है जबकि स्टैटिक रैम में मीडियम मेमोरी लगती है।
What are Data Representation?( डेटा प्रतिनिधित्व क्या हैं?) -
डाटा और इनफॉर्मेशन :- कम्प्यूटर पर काम करने पर ऐसा लगता है जैसे कम्प्यूटर हमारी बात समझ रहा है और हम उसकी बात समझ रहे हैं, पर दरअसल ऐसा नही है। कम्प्यूटर हमारी भाषा नहीं समझता। वह अपनी भाषा को समझता है। वह भाषा और कुछ नहीं बल्कि बिजली के होने और ना होने की दो स्थितियाँ है। दरअसल कम्प्यू में बहुत अधिक मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक स्विच है जिनको ट्रॉजिस्टर कहते (transistors) हैं।
कम्प्यूटर में दो तरह का डाटा स्टोर और प्रोसेस किया जाता है वो हैं कैरेक्टर और नम्बर । पर कम्प्यूटर को सिर्फ नम्बर की पहचान है उसके लिए नम्बर भी नम्बर है. कैरेक्टर भी नम्बर है, कोई चिह्न भी नम्बर है और आवाज और चित्र भी नम्बर ही है। यहाँ तक की कम्प्यूटर का अपना इंस्ट्रक्शन भी नम्बर में है। कैरेक्टर और नम्बर को कम्प्यूटर के द्वारा अलग-अलग वैल्यू (Valve) दी जाती है | अब यूजर को समझ में आ जाए, वैसा आउटपुट कम्प्यूटर तैयार करता है। इस आउटपुट में नैचुरल लँगवेज में नम्बर और कैरेक्टर होते हैं जिसे यूजर आसानी से समझ सके। इसको एक्सटरनल डाटा रिप्रेजेन्टेशन (External Data Represen tation) कहते हैं और दूसरी तरफ वह वैल्यू जिसे कम्प्यूटर स्टोर करने और प्रोसेस करने में इस्तेमाल करता है उस डाटा को इन्टरनल डाटा रिप्रेजेन्टेशन (Internal Data Representation) कहते हैं। कम्प्यूटर की भाषा हमें आश्चर्यजनक लगती है क्योंकि हम दशमलव संख्या के आदी है जिसमें हम नम्बर 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 और 0 का इस्तेमाल करते हैं।
हम इन्हीं के आधार पर जोड़ना, घटाना आदि गणनाएं करते हैं। पर कम्प्यूटर पर 0 और 1 दो अंकों द्वारा सभी संख्याएं लिखी जाती हैं और उन पर गणित की क्रिया की जाती है। यह 0 और किसी बिट के दो मान हैं, जिस प्रकार किसी स्विच की दो स्थितियाँ 1 हो सकती हैं- ऑन तथा ऑफ, उसी तरह किसी बिट की भी दो स्थितियाँ हो सकती हैं। ऑफ और ऑन
बिट और बाइट (Bit and Bytes):- 1 बिट ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं होती। दूसरी बिटों के साथ मिलकर ही उसका अर्थ निकलता है। 8 लगातार बिटाँ को एक सीरीज कहा जाता है। इस सीरीज को "बाइट" कहते हैं। वाइट सूचना की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है। कम्प्यूटर की सारी क्रियाएँ बाइट में ही मापी जाती हैं।
कम्प्यूटर में स्टोर किया जाने वाला हर बाइट उसके लिए कच्चा माल है, जिसे किसी भी रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। कम्प्यूटर में डाटा के साथ हम दो तरह की क्रियाएं करते हैं- संख्याओं के साथ अंकगणितीय क्रियाएं तथा अक्षरों और चिह्नों के साथ कुछ दूसरी क्रियाएं। किसी बाइट में दोनों तरह के डाटा स्टोर किए जा सकते हैं, संख्यात्मक और चिह्नात्मक भी। वास्तव में बाइट के लिए दोनों तरह के डाटा में कोई अन्तर नहीं है। अन्तर सिर्फ उसके उपयोग करने में है। किसी बाइट में संख्या या चिह्न, यह इससे पता चलता है कि आप उसे कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं।
की-बोर्ड के सभी कैरेक्टर, जैसे सभी लेटर्स (अपरकेस और लोवरकेस चिह्नों), नम्बर और सिम्बाल) आदि आठ बिटों के अलग-अलग समूहों से बने हैं। बाइट मेमोरी के साइज को मापने का इकाई है। मेमोरी का साइज किलोबाइट (KB), मेगाबाइट (MB)या गीगाबाइट (GB) में भी मापा जाता है।
1 किलोवाट = 1024 बाइट
1 मेगावाट = 1024 किलोबाइट 1024 x 1024 बाइट
1 गीगाबाइट = 1024 x 1024 किलोबाइट
1024 x 1024 x 1024 x 1024 बाइट
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