Development of computer and history! कंप्यूटर का इतिहास,विकास एवं विभिन्न विधियां क्या है लिखिए?
1450 B.C अबेकस (The Abocus):- यह एक प्राचीन गणना यंत्र है जिसका आविष्कार प्राचीन बेबीलोन में अंकों की गणना के लिए किया गया था। इसे संसार का प्रथम गणक यंत्र कहा जाता है। इसमें तारों (Wires) में गोलाकार मनके पिरोयी (beads) जाती है जिसकी सहायता से गणना को आसान बनाया गया।
1600 AD. नैपीयर बोन्स (Napier Bones):- यह दूसरा गणना यंत्र है जिसका आविष्कार एक स्कॉटिश गणितज्ञ "जॉन नेपीयर " ने किया।
1642 A.D ब्लेस पास्कल :- फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) ने 1642 में प्रथम यांत्रिक गणना मशीन का आविष्कार किया। यह केवल जोड़ व घटा सकती थी। अतः इसे एडिंग मशीन (Adding Machine) भी कहा गया। इसको पास्कलाइन भी कहा गया है। जब पास्कल ने यह मशीन बनाई तब वह केवल 19 वर्ष के थे।
1692 A.D मल्टिप्लाइंश मशीन :- गोटरीड लेबनीज जर्मनी गोटरीड ने पास्कल के मशीन को और बेहतर बनाया जिससे गुणा-भाग भी हो सकता था। गोटरीड ने सर आइजक न्यूटन के साथ काम करके गणित के कैलकुलस (Culculus) का विकास भी किया था। इनके द्वारा विकसित कैलकुलेटर (Calculator) की मदद से आसानी से जोड़, गुणा भाग और घटाव किया जा सकता है।
1813 A.D डिफरेंस इंजन (Difference Engine) चार्ल्स बैवेज इंग्लैंड :- उन्नीसवी सदी के शुरू से ही चार्ल्स बैवेज एक मशीन बनाने का काम कर रहे थे जो जटिल गणनाएं कर सकता था। 1813 में उन्होंने डिफरेंस इंजन का विकास किया जो भाप से चलता था। इसके द्वारा गणनाओं का प्रिंट भी किया जा सकता था।
1800 AD जैकुआर्ड लुम- जोसेफ मारी जैकुआर्ड :- उन्नीसवी सदी के शुरू में फ्रांस में जोसेफ मारी जैकुआर्ड ने एक प्रोग्राम किया जाने वाला लुम बनाई जो बड़े-बड़े कार्ड जिनमें छेद पंच किया गया था जिससे आसानी से पैटर्न बनाई जा सकती थी। यह 20 से 25 वर्ष पहले तक इस्तेमाल किया जा रहा था।
1862 A.D. " एरी थ्रोमटर" (Arithrome-Tier) चार्ल्स जेवियर चॉमस फ्रांस :- यह पहला कैलकुलेटर था जिसका व्यावसायिक उपयोग किया गया था। फ्रांस के चार्ल्स जेवियर थॉमस ने किया था। इनको लंदन के एक प्रदर्शनी में स्वर्ण पदक भी मिला था। यह मशीन मूलभूत अंकगणितीय गणनाएं (जोड़, घटाव, गुणा और भाग) आसानी से कर सकती थी।
1863 A.D. : एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine):- चार्ल्स बैबेज 1863 में चार्ल्स बैबेज ने एक स्वचालित मशीन एनालिटिकल इंजन बनाया जो पंचकार्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करती थी तथा मूलभूत अंकगणितीय गणनाएं (जोड़, घटाव, गुणा, भाग) कर सकती थी।
लेडी एडा आगस्टा (Ada Augusta) ने एनालिटिकल इंजन में पहला प्राग्राम डाल अतः उन्हें दुनिया का प्रथम प्रोग्रामर (Programmer) भी कहा जाता है। उन्हें दो अंकों की संख्या प्रणाली बाइनरी प्रणाली (Binary System) के आविष्कार का श्रेय भी है।
चार्ल्स बैवेज (Charles Babbage) को कम्प्यूटर के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 'आधुनिक कम्प्यूटर विज्ञान का जनक' (Father of Modern Computers) कहा जाता है।
1896 A.D:- पंच कार्ड मशीन-डॉ. हर्मन होलेरिथ, सेंसस टेबुलेटर 1896 में अमेरिका के वैज्ञानिक हर्मन होलेरिथ ने इस विद्युत चालित यंत्र का आविष्कार किया जिसका प्रयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया। इन्हें पंचकार्ड (Punch Card) के आविष्कार का श्रेय भी दिया जाता है।
1939A.D. ए.बी.सी. (ABC-Atanasoff- Berry Computer):- 1939 में जॉन एटनासॉफ और क्लिफोर्ड बेरी नामक वैज्ञानिकों ने मिलकर संसार का पहला 'इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर' का आविष्कार किया। इन्हीं के नाम पर इसे एबीसी का नाम दिया गया।
1944 A.D :- मार्क-I-डॉ हॉवर्ड आइकेन 1937 से 1944 के बीच आईबीएम (IBM-International Business Ma- chine) नामक कम्पनी के सहयोग तथा वैज्ञानिक हॉवर्ड आइकेन ( Haward Aikan) के निर्देशन में विश्व के प्रथम पूर्ण स्वचालित विद्युत यांत्रिक (Electro- mechanical) गणना यंत्र का आविष्कार किया गया। इसे मार्क-I नाम दिया गया। यह आंशिक रूप से इलेक्ट्रॉनिक भार आंशिक रूप से मैकेनिकल मशीन है। यह बहुत बड़ा था जिसकी ऊँचाई 8 फीट और लम्बाई 55 फीट थी। एक गुणा का काम करने में इसे 3 से 5 सेकेंड लगती थी।
1943 :- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश वैज्ञानिक एलन ट्यूरिंग ने कॉलोसस नामक कम्प्यूटर अपने देश की फौज के लिए डिजाइन किया ताकि जर्मनी के गुप्त संदेशों को समझा जा सके। इस कम्प्यूटर के अस्तित्व को 1970 के दशक तक छिपाकर रखा गया।
1945 :- डॉ० जॉन वॉन न्यूमैन ने स्टोर्ड प्रोग्राम के कॉन्सेप्ट पर कागज तैयार किये।मेमोरी में आंकड़े और प्रोग्राम स्टोर करने की उनकी तरकीब ने भविष्य के डिजिटल कम्प्यूटरों के निर्माण की नींव डाली।
1948 एनिएक (ENIAC - Electronic Numerical Integrator and Calculator) :- 1946 में अमेरिकी वैज्ञानिक जे. पी. एकर्ट तथा जॉन मुचली ने आम आदमी के उपयोग के लिए पहले बड़े पैमाने के डिजिटल कम्प्यूटर को 'बनाने का काम पूरा किया। ENIAC नामक इस कम्प्यूटर का वजन तीस टन था और इसमे 18000 वेक्यूम ट्यूब्स लगी हुई थी। तीस बटा पचास फूट की जगह घेरने वाला यह कम्प्यूटर 160 किलोवाट बिजली से चलता था। जब पहली बार इस कम्प्यूटर को चलाया गया तो पूरे फिलेडेल्फिया क्षेत्र की बत्तियां मंद हो गई थी।
इडवैक (EDVAC-Electronic Discrete Variable Automatic Computer):-एनिएक कम्प्यूटर में प्रोग्राम में परिवर्तन कठिन था। इससे निपटने के लिए वान न्यूमेन (Van Neumann) ने संग्रहित प्रोग्राम (Stored Program) की अवधारणा दी तथा इडवैक का विकास किया। आधुनिक कम्प्यूटर के विकास में सर्वाधिक योगदान अमेरिका के डॉ० वान न्यूमेन का है। इन्हें डाटा और अनुदेश (Instructions) दोनों को बाइनरी प्रणाली (0 और 1) में संग्राहित करने का श्रेय दिया जाता है।
1951 A.D यूनीवैक (UNIVAC - Universal Automatic Com puter):- यह प्रथम कम्प्यूटर था जिसका उपयोग व्यापारिक और अन्य सामान्य कार्यों के लिए किया गया। प्रथम व्यापारिक कम्प्यूटर यूनीवैक-I (UNIVAC-I) का निर्माण 1954 में जीइसी (GEC - General Electric Corporation) ने किया।
1953 :- आई.बी.एम का मॉडल नम्बर 650 उन शुरुआती मॉडलों में से एक था जिसका इस्तेमाल बड़ी संख्या में लोगों ने किया। पहले आई.बी.एम. की योजना इस मॉडल के 50 कंप्यूटरों को निर्मित करने की थी लेकिन इसकी सफलता को देखते हुए 1000 से भी ज्यादा मॉडल बनाये गये।
1957 :- जॉन बैकस ने आसानी से इस्तेमाल की जाने वाली प्रोग्रामिंग भाषा FOR- TRAN (फार्मुला ट्रान्सलेशन) की शुरुआत की।
1958 :- टेक्सॉस इन्सट्यूमेन्ट्स के जैक किल्बी ने इन्टिग्रेटिड सर्किट का अविष्कार किया जिसके आधार पर ज्यादा क्षमता वाली मेमोरी और तेज गति के कंप्यूटरों की नींव डाली।
1960 :- डॉ ग्रेस हॉपर की अध्यक्षता में बनी समिति ने बिजनेस की उच्च स्तरीय भाषा,कोबोल का विकास किया।
1965 :- डार्टमाउथ के जॉन केमेनी ने प्रोग्रामिंग भाषा बेसिक (Basic) को विकसित किया जिसका इस्तेमाल निजी कंप्यूटरों में बड़े पैमाने पर किया गया। डिजिटल इक्विपमेंट कॉरपोरेशन ने पहला छोटा कंप्यूटर, पी.डी.पी-8 बाजार में उतारा जिसका इस्तेमाल आज बड़े पैमाने पर टाइम शेयरिंग सिस्टम्स में बतौर इंटरफेस किया जाता है।
1969:- संयुक्त राज्य के रक्षा विभाग के अंतर्गत ए. आर. पी.ए. द्वारा ए. आर.पी.ए.एन.ई.टी. (एडवांस्ट रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेन्सी नेटवर्क) का विकास हुआ जो कि विश्व का पहला ऑपरेशनल पैकेट स्विचिंग नेटवर्क था और ग्लोबल इंटरनेट के पूर्वज।
1971:- इन्टेल कॉरपोरेशन के डॉ० टेड हॉफ ने छोटे प्रोसेसर यानी कि माइक्रोप्रोग्रामेबल कम्प्यूटर चिप, इन्टेल 4004 का विकास किया।
1975:- जिरॉक्स पी. ए. आर.सी (पॉलो ऑल्टो रिसर्च सेन्टर) में कार्यरत रॉबर्ट मेटकाफ ने पहले स्थानीय नेटवर्क अर्थनेट का विकास किया। लेन की मदद से विभिन्न कम्प्यूटर आपस में आंकड़े, सॉफ्टवेयर इत्यादी बांट पाते हैं।
1976 :- स्टीव जॉब्स और स्टीव वॉजनायेक ने एप्पल का पहला कम्प्यूटर बनाया। इसके तुरंत बाद एप्पल टू का विकास हुआ जो बेहद सफल रहा।
1979:- बॉब फ्रेन्कस्टन और डेन ब्रिक्लिन द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया विसिकॉल्क नामक एक स्प्रेडशीट प्रोग्राम बाजार में लाया गया। विसिकॉल्क प्रोग्राम ने व्यापार जगत में पर्सनल कंप्यूटरों के इस्तेमाल को लोकप्रियता दिलायी।
1980:- आई.बी.एम. ने माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन के सह संस्थापक बिल गेट्स को बाजार में जल्द उतारे जाने वाले अपने पर्सनल कम्प्यूटर के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम को विकसित करने का मौका दिया। एम.एस-डॉस की सफलता की बदौलत माइक्रोसॉफ्ट का काफी विकास हुआ।
1981:- पर्सनल कम्प्यूटर बाजार में उतरते हुए आई.बी.एम ने अपना पहला पीसी प्रदर्शित किया।
1982:- आई.बी.एम के पर्सनल कम्प्यूटरों को विकसित करने और उसका विपणन करने के लिए कॉम्पेक इंक की स्थापना हुई हेयस ने 300 रफ्तार वाला छोटा मॉडम निकाला जो बेहद सफल रहा।
1983 :- लोटस डेवेलपमेन्ट कॉरपोरेशन की स्थापना हुई लोटस सॉफ्टवेयर (अब आई. बी.एम. का हिस्सा है) के स्प्रेडशीट प्रोग्राम लोटस 1-2-3, ने आई.बी.एम. के पर्सनल कम्प्यूटरों को पहली बड़ी सफलता दिलाई। इस प्रोग्राम की अपार कामयाबी की बदौलत आई.बी.एम. ने कॉरपोरेट जगत में अपने लिए खास जगह बनायी।
1984 :- यूलेट-पैकर्ड (hp) ने अपने पर्सनल कम्प्यूटर के लिए पहले लेजरजेट प्रिन्टर लाने की घोषणा की। एप्पल ने मैकिन्टोश नामक कम्प्यूटर बाजार में उतारा जिसमें आसानी से सीखे जा सकने के लिए ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस था।
1988 :- इन्टेल 486, विश्व का ऐसा पहला प्रोसेसर बना जिसमें 10,00,000 ट्रॉसिस्टर लगे थे। इन्टेल 1486 (486 या 80486 के नाम से भी जाना जाता है) 32 बिट स्केलर इंटेल सीआईएससी माइक्रोप्रोसेसर था जो कि इंटेल 486 का हिस्सा था।
1991:- विश्वव्यापी जाल यानी की वर्ड वाइड वेब कॉन्स्ट्रियम ने उन मांडंडो को जारी किया, जिसमे विभिन कम्प्यूटरों के डोकोमेंट्स को आपस में जोड़ने का खाका तैयार किया था।
1992:- माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोस ऑपरेटिंग सिस्टम के तहत विंडोस 3.1 की शृंखला बाजार में उतारी। इसमें ट्रयू टाइप फॉन्ट,मल्टीमीडिया, ऑब्जेक्ट लिंकिंग और एंबोडिंग जैसे आयाम जोड़े गए।
1993:- मार्क एंड्रेसन ने ग्राफिक्स युक्त भोसाइक नामक वेब ब्राउजर का आविष्कार किया। इसकी सफलता से नेटस्केप कम्यूनिकेशन्स कॉरपोरेशन संगठित हुआ।
1994:- जिम क्लार्क और मार्क एंड्रेसन में नेटस्केप की स्थापना की और वर्ल्ड वाइड वेब के ब्राउजर नेटस्केप नेविगेटर 1.0 को लॉन्च किया।
1995:- ऑपरेटिंग सिस्टम को बेहतर बनाते हुए माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 95 बनाया। विन्डोज 95 खास तौर से आम उपभोक्ता के लिए तैयार किया गया ग्राफिक्स युक्त इंटरफेस आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम है।
1997:- माइक्रोसॉफ्ट ने इंटरनेट एक्सप्लोरर 4.0 की बदौलत इंटरनेट जगत में खास जगह बना ली। इंटेल 7.5 मिलियन ट्रांसिस्टर्स से युक्त प्रोसेसर पेन्टियम-II को लेकर आया।
1998 :- माइक्रोसॉफ्ट ने विन्डोज 95 में बदलाव किये और विन्डोज 98 जारी किया। विन्डोज 98 से कम्प्यूटर का प्रदर्शन बेहतर होने के साथ-साथ यह इंटरनेट की दृष्टि से भी अच्छा साबित हुआ। इसकी खास बात यह भी थी कि यह नयी पीढ़ी के हॉर्डवेयर और सॉफ्टवेयरों के अनुकूल था। एप्पल ने अपने लोकप्रिय कम्प्यूटर, मेकिन्टोश का अगला संस्करण, आई. मैक (i Mac) निकाला।
1999:- इंटेल ने मल्टीमीडिया की बेहतर क्षमता वाला प्रोसेसर, पेन्टियम III जारी किया। माइक्रोसॉफ्ट ने ऑफिस 2000 को बाजार में उतारा।
2000 :- माइक्रोसॉफ्ट ने विन्डोज 2000 और विन्डोज एम.ई. जारी किया। ऑफिस 2000 सुरक्षा और निर्भरता की दृष्टि से पुराने संस्करण के मुकाबले बेहतर था। विन्डोज एम.ई के नाम से जाना जाने वाला विन्डोज मिलेनियम, 16-बिट/ 32 बिट की क्षमता वाला ग्राफिकलयुक्त ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे मुख्य रूप से घरेलू उपभोक्ताओं के लिए तैयार किया गया। इंटेल ने पेन्टियम 4 प्रोसेसर की चिप बनायी जो 1.4 जीगा हर्ट्ज से शुरू होने वाली क्लॉक स्पीड्स से युक्त था।
2001 :- कम्प्यूटर पर पढ़ी जाने वाली डिजिटल किताबों यानी कि ई-बुक्स का जन्म हुआ माइक्रोसॉफ्ट ने ऑपरेटिंग सिस्टम में भारी बदलाव करते हुए डेस्कटॉप और सर्वर्स के लिए विन्डोज एक्स.पी. निकाला। माइक्रोसॉफ्ट ने उसके बाद ऑफिस एक्स.पी.निकाला जो नए जमाने के रिजल्ट देने वाले सॉफ्टवेयरों की तरह है।
2002 :- माइक्रोसॉफ्ट ने डाट नेट की कॉन्सेप्ट को लॉन्च किया जिसका इस्तेमाल वेब पर आधारित सेवाओं के सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन्स को विकसित करने और चलाने के लिए किया गया। सी.डी. (CD-RW) राइटर्स की जगह डी.वी.डी. ( DVD + RW) राइटर्स ने ले ली। डी.वी.डी में सी.डी. के मुकाबले आठ गुना ज्यादा डाटा स्टोर करने की क्षमता होती है।
2003 :- तार रहित कम्प्यूटर और अन्य उपकरण जैसे कीबोर्ड, माउस, होम नेटवर्क और इंटरनेट आजकल आम चीजें हो गई हैं। मौजूदा ऑपरेटिंग सिस्टम्स डब्ल्यू. आई-एफ. आई (wireless fidelity) और दोनों के लिए अनुकूल है।
कंप्यूटर निर्माताओं ने स्मार्ट डिसप्ले बनाने शुरू कर दिए हैं। स्मार्ट डिसप्ले हल्के वजन वाले टच स्क्रीन मॉनीटर होते हैं जिससे आप पर्सनल कम्प्यूटर को बिना तार के इस्तेमाल किये कहीं भी चला सकते हैं।
2004:- भारी भरकम सी.आर.टी मॉनीटर के बदले कम्प्यूटर उपभोक्ता फ्लैट-पेनल वाले एल.सी.डी. मॉनीटर का इस्तेमाल करने लगे। एप्पल कम्प्यूटर ने पतली स्क्रीन वाली आई. मैक जी-5 नामक कम्प्यूटर बाजार में उतारे। इनकी सिस्टम यूनिट मॉनीटर में ही लगी हुई थी। सर्वर के बाजार में माइक्रोसॉफ्ट विन्डोज, सन्स सोलारिस और यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम्स के विकल्प के रूप में लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम ने अपनी जगह बनायी।
2005:- Apple ने जेब में समा जाने वाला आईपॉड आडियो प्लेयर निकाला। माइक्रोसॉफ्ट ने एक्स बॉक्स 360 नाम का गेम कन्सोल निकाला। मोबाइल उपकरण के रूप में लोग पी.डी.ए. मोबाइल के बदले स्मार्ट फोन ज्यादा पसंद करने लगे। Smart phone, सेल्यूलर फोन, E-mail, Web browser,Gaane, Video game, इनबिल्ट कैमरा और व्यक्तिगत सूचना प्रबंधन जैसी सुविधाओं से युक्त होता है।
2005:- माइक्रोसॉफ्ट ने ऑफिस का नया संस्करण पेश किया। इंटेल ने छोटे प्रोसेसरों की नई शृंखला, पेंटियम डी की। माइक्रोसॉफ्ट ने ऑपरेटिंग सिस्टम, विंडोस विस्टा का नया संस्करण बाजार में उतारा। विंडोज विस्टा विश्व के सबसे वेब ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोर 7 से युक्त है।
एपल ने इंटेल प्रोसेसर लगे हुए मेकिंटोश कंप्यूटर बेचना शुरू कर दिए। आई .बी .एम ने सबसे तेज गति से काम करने वाले ब्लू जीने/ एल नमक सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया। इसमें पलक झपकते ही लगभाग 28 ट्रिलियम गन्ना करने की क्षमता हैं।
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