Operating System |
ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य हैं-
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Types of Operating System):-
विंडोज 98 :- विंडोज 98 माइक्रोसॉफ्टवेयर द्वारा 25 जून, 1998 को रिलीज किया। गया ग्राफिकल ऑपरेटिंग सिस्टम है और इसने विंडोज 95 का स्थान ग्रहण किया। विंडोज 98 के ऑपरेटिंग सिस्टम में कुछ सुधारों के बाद विंडोज 98 एस.ई. को 5 मई, 1998 को रिलीज किया गया। विंडोज 98 में कई प्रोग्राम शामिल किए गए जो आपको इंटरनेट एक्सप्लोरर, आउटलुक एक्सप्रेस और फ्रंटप्रज पर इन्फॉर्मेशन देखने और आदान-प्रदान करने की अनुमति प्रदान करते हैं। विंडोज 98 सिस्टम को तेजी से स्टार्टअप करने व सटडाउन करने और बेटर फाइल मैनेजमेंट की सुविधा प्रदान करती है। विंडोज 98 यूनीवर्सल सीरियल बस यू.एस.बी. को सपोर्ट करती है, जिससे आप अपने कम्प्यूटर में आसानी से डिवाइस एड और रिमूव कर सकते हैं।
विंडोज 2000 :- यह माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एन.टी. लाइन के ऑपरेटिंग सिस्टम का हिस्सा है और 17 फरवरी, 2000 को रिलीज हुआ था। विडम् 2000 एनटी करनेल और इंटरफेस फीचर्स पर बना हुआ है, जो विंडोज एनटी विंडोज 95 और विंडोज 98 से मिलती-जुलती है। विंडोज 2000 लाइन में विंडोज 2000 प्रोफेशनल, विंडोज 2000 एट सर्वर और विंडोज 2000 डाटासेंटर सर्वर जोड़ा गया है। सिंडोज 2000 असल में विंडोज एन.टी. 5.0 एनाउंस की गई थी।
विंडोज़ एम.ई. :- विंडोज़ एम.ई. कहलाने वाली विंडोज मिलेनियम, एडीसन विडोज 95 और 98 के सक्सेसर हैं। सात महीने पहले रिलीज़ विंडोज 2000 के मुकाबले विंडोज एम.ई. को होम एडिसन के तौर पर बाजार में किया गया। ये इंटरनेट एक्सप्लोर 5.5, विंडोज मीडिया प्लेयर 7 मिक्स वीडियो एडिटिंग के लिए नया विंडोज मूवी मेकर सॉफ्टवेयर की सुविधा प्रदान करता है और इसके घरेलू उपयोगकर्ता को आसानी से समझ में आ जाता है। माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज एम.ई. विंडोज 2000 में कुछ विशेषताओं के साथ ग्राफिकल यूजर लियो अपडेट किए गए पहले थे। विंडोज़ एम.ई. फीचर के साथ आप अपने कंप्यूटर को रोस्टोर कर सकते हैं। यदि आपके कंप्यूटर में कोई समस्या है, तो आप समस्या होने की तारीख से पहले अपने कंप्यूटर को सिस्टम को रेस्टोर करने के तत्व का उपयोग कर सकते हैं।
- कम्प्यूटर चालू किये जाने पर सॉफ्टवेयर को द्वितीयक मैमोरी से लेकर प्राथमिक मैमोरी में डालना तथा कुछ मूलभूत क्रियाएं स्वतः प्रारंभ करना ।
- हार्डवेयर और उपयोगकर्ता के बीच संबंध स्थापित करना।
- हार्डवेयर संसाधनों का नियंत्रण तथा बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना।
- अप्लिकेशन प्रोग्राम का क्रियान्वयन करना।
- मेमोरी और फाइल प्रबंधन करना।
- हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर से संबंधित कम्प्यूटर के विभिन्न दोषों को इंगित ( errors) करना।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Types of Operating System):-
1.बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch Processing Operat ing System) :- इसमें एक ही प्रकृति के कार्यों को एक बैच के रूप में संगठित कर समूह में क्रियान्वित किया जाता है। इसके लिए बैच मॉनीटर सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है।
इस सिस्टम का लाभ यह है कि प्रोग्राम के क्रियान्वयन लिए कम्प्यूटर के सभी संसाधन उपलब्ध रहते हैं, अतः समय प्रबंधन की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस सिस्टम
म उपयोगकर्ता तथा प्रोग्राम के बीच क्रियान्वयन के दौरान कोई अंत नहीं रहता तथा परिणाम प्राप्त करने में समय अधिक लगता है। मध्यवर्ती परिणामों पर उपयोगकर्ता का कोई नियंत्रण नहीं खाता।
उपयोग :- इस सिस्टम का प्रयोग ऐसे कार्यों के लिए किया जाता है जिनमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती। जैसे- सांख्यिकीय विश्लेषण (statisitical
analysis), विप्रिंट करना, पेरोल (payroll) बनाना आदि।
2. मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (multi programming operating system):- इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई कार्यों को सम्पादित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए किसी एक प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद जब उसका प्रिंट लिया जा रहा होता है तो प्रोसेसर खाली बैठने के स्थान पर दूसरे प्रोग्राम का आरंभ कर देता है जिसमें प्रिंटर की आवश्यकता नहीं होती।
इसके क्रियान्वयन में लगने वाला कूल समय कम हो जाता है तथा संसाधनों का बेहतर उपयोग भी संभव हो पाता है। इसके लिए विशेष हार्डवेयर व साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। इसमें कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी का आकार बड़ा होना चाहिए ताकि मुख्य मेमोरी का कुछ हिस्सा प्रत्येक प्रोग्राम के लिए अवांटित किया जा सके इसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन का क्रम वरीयता निर्धारित करने को भी होनी चाहिए।
3. टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (time sharing operating system):- इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई उपयोगकर्ता जिन्हें टर्मिनल भी कहते हैं; इंटरएक्टिव मोड में कार्य करते हैं जिसमें प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद प्राप्त परिणाम को तुरंत दर्शाया जाता है। प्रत्येक उपयोगकर्ता को संसाधनों के साझा उपयोग के लिए कुछ समय दिया जाता है, जिसे टाइम स्लाइस (time slice) या कहते हैं। इनपुट देने और आवटपुट प्राप्त करने के बीच के समय को उन अव समय (turn Around time) कहा जाता है। इस समय का उपयोग कम्प्यूटर द्वारा अन्य उपयोगकर्ता के प्रोग्रामों के क्रियन में किया जाता है। अगर किसी प्रोग्राम में शाम स्लाइस से अधिक का समय लगता है तो उसे रोक कर अन्य प्रोग्राम का क्रियान्वयन किया जाता है। अधूरे रोके गये प्रोग्राम को अपनी अगली मारी की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में मेमोरी का सही प्रबंधन आवश्यक होता है क्योंकि कई प्रोग्राम एक साथ मुख्य मेमोरी में उपस्थित होते हैं। इस व्यवस्था में पूरे प्रोमों को मुख्य मेमोरी में लाया जाता है। इस प्रक्रिया को स्वैपिंग (sqapping) कहते हैं।
analysis), विप्रिंट करना, पेरोल (payroll) बनाना आदि।
2. मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (multi programming operating system):- इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई कार्यों को सम्पादित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए किसी एक प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद जब उसका प्रिंट लिया जा रहा होता है तो प्रोसेसर खाली बैठने के स्थान पर दूसरे प्रोग्राम का आरंभ कर देता है जिसमें प्रिंटर की आवश्यकता नहीं होती।
इसके क्रियान्वयन में लगने वाला कूल समय कम हो जाता है तथा संसाधनों का बेहतर उपयोग भी संभव हो पाता है। इसके लिए विशेष हार्डवेयर व साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। इसमें कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी का आकार बड़ा होना चाहिए ताकि मुख्य मेमोरी का कुछ हिस्सा प्रत्येक प्रोग्राम के लिए अवांटित किया जा सके इसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन का क्रम वरीयता निर्धारित करने को भी होनी चाहिए।
3. टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (time sharing operating system):- इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई उपयोगकर्ता जिन्हें टर्मिनल भी कहते हैं; इंटरएक्टिव मोड में कार्य करते हैं जिसमें प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद प्राप्त परिणाम को तुरंत दर्शाया जाता है। प्रत्येक उपयोगकर्ता को संसाधनों के साझा उपयोग के लिए कुछ समय दिया जाता है, जिसे टाइम स्लाइस (time slice) या कहते हैं। इनपुट देने और आवटपुट प्राप्त करने के बीच के समय को उन अव समय (turn Around time) कहा जाता है। इस समय का उपयोग कम्प्यूटर द्वारा अन्य उपयोगकर्ता के प्रोग्रामों के क्रियन में किया जाता है। अगर किसी प्रोग्राम में शाम स्लाइस से अधिक का समय लगता है तो उसे रोक कर अन्य प्रोग्राम का क्रियान्वयन किया जाता है। अधूरे रोके गये प्रोग्राम को अपनी अगली मारी की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में मेमोरी का सही प्रबंधन आवश्यक होता है क्योंकि कई प्रोग्राम एक साथ मुख्य मेमोरी में उपस्थित होते हैं। इस व्यवस्था में पूरे प्रोमों को मुख्य मेमोरी में लाया जाता है। इस प्रक्रिया को स्वैपिंग (sqapping) कहते हैं।
4. रीयल टाइम सिस्टम (real time system):- इस ऑपरेटिंग सिस्टम में निर्धारित समय सीमा में परिणाम देने को महत्व दिया जाता है। इसमें एक प्रोग्राम के परिणाम का दूसरे प्रोग्राम में इनपुट डाटा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। पहले प्रोग्राम के क्रियान्वयन में देरी से दूसरे प्रोग्राम का क्रियान्वयन और
परिणाम रुक सकता है। अतः इस व्यवस्था में प्रोग्राम के क्रियान्वयन समय (Response time) को तीव्र रखा जाता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग उपग्रह के संचालन, हवाई जहाज के नियंत्रण,परमाणु भट्टियों,परमाणु वैज्ञानिक अनुसंधान, रक्षा, चिकित्सा, रेलवे आरक्षण आदि में किया जाता हैं
परिणाम रुक सकता है। अतः इस व्यवस्था में प्रोग्राम के क्रियान्वयन समय (Response time) को तीव्र रखा जाता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग उपग्रह के संचालन, हवाई जहाज के नियंत्रण,परमाणु भट्टियों,परमाणु वैज्ञानिक अनुसंधान, रक्षा, चिकित्सा, रेलवे आरक्षण आदि में किया जाता हैं
मल्टी प्रोग्रामिंग सिस्टम में प्रोग्रामों के वरीयता क्रम का चयन कर भी इस उदेश्य को प्राप्त किया जा सकता हैं।
एकल ऑपरेटिंग सिस्टम (single operating system):- पर्सनल कम्प्यूटर के विकास के साथ सकल आपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता महसूस की गई जिसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन की समय सीमा या संसाधनों के बेहतर उपयोग की वरीयता न देकर प्रोग्राम की सरलता तथा उपयोगकर्ता को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करने पर जोर दिया गया।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार :- पहले ऑपरेटिंग सिस्टम के मोहताज थे। डिवाइस डिपेंडेंट सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट केवल कुछ प्रकार के कम्प्यूटर को चलाते थे। मैन्यूफेक्चरर्स नए कम्प्यूटर मॉडल है, तो ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोड्यूस करते हैं। समस्याएं तब उठती हैं, जब यूजर कम्प्यूटर मॉडल या मैन्यूफेक्चरर को छोड़ा चाहता है। यूजर के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर प्रायः नए कम्प्यूटर पर काम नहीं करते हैं, क्योंकि एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर एक विशिष्ट ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ काम करने के लिए डिजाइन किए गए होते हैं। कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम अभी भी डिवाइस डिपेंकेट हैं।
एकल ऑपरेटिंग सिस्टम (single operating system):- पर्सनल कम्प्यूटर के विकास के साथ सकल आपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता महसूस की गई जिसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन की समय सीमा या संसाधनों के बेहतर उपयोग की वरीयता न देकर प्रोग्राम की सरलता तथा उपयोगकर्ता को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करने पर जोर दिया गया।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार :- पहले ऑपरेटिंग सिस्टम के मोहताज थे। डिवाइस डिपेंडेंट सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट केवल कुछ प्रकार के कम्प्यूटर को चलाते थे। मैन्यूफेक्चरर्स नए कम्प्यूटर मॉडल है, तो ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोड्यूस करते हैं। समस्याएं तब उठती हैं, जब यूजर कम्प्यूटर मॉडल या मैन्यूफेक्चरर को छोड़ा चाहता है। यूजर के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर प्रायः नए कम्प्यूटर पर काम नहीं करते हैं, क्योंकि एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर एक विशिष्ट ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ काम करने के लिए डिजाइन किए गए होते हैं। कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम अभी भी डिवाइस डिपेंकेट हैं।
डिवाइस डिपेंडेंट ऑपरेटिंग सिस्टम आ गए हैं, जो कई मैन्यूफेक्चरर्स के कम्प्यूटरों को चलाते हैं। डिवाइस इनडिपेंडेंट ऑपरेटिंग सिस्टम का लाभ ये है कि यदि आप कम्प्यूटर मॉडल को बदल भी दें, तो भी आप मौजूदा एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और डाटा फाइलों को रख सकते हैं।
डॉस (DOS):- डॉस (डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम) टर्म कई सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में बताती है, जो पीसी के लिए 1980 के शुरुआती दशक में डेवलप किए गए थे। डॉस में पीसी-डॉस और एमएस डॉस दो सर्वाधिक व्यापक वर्जन थे।microsoft ने आईबीएम के लिए पीसी-डॉस बनाया था, जो आईबीएम द्वारा अपने कम्प्यूटरों में बेचे और इंस्टॉल किए गए थे उसी समय माइक्रोसॉफ्ट ने आईबीएम सहायक पर्सनल कम्प्यूटर के निर्माताओं को एमएस-डॉस बेचा।
जब पहले माइक्रोसॉफ्ट ने इसे डेवलप किया, तो डॉस कमांड लाइन इंटरफेस का प्रयोग करता था। बाद के डॉस वर्जन में कमांड लाइन और मेन्यू डिवेन यूजर इंटरफेस दोनों मेमोरी और डिस्क मैनेजमेंट के साथ शामिल हो गए। आज डॉस व्यापक तौर पर ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाता है, क्योंकि ये ग्राफिकल यूजर इंटरफेस नहीं कर सकता और ये मॉडर्न 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर्स का पूरा लाभ नहीं उठा सकता। यद्यपि इसके कुछ यूजर हैं, लेकिन उनमें ज्यादातर विंडोज प्लेटफोर्म के ग्राफिकल यूजर इंटरफेस का पसंद करते हैं।
विंडोज 3.x :- माइक्रोसॉफ्ट में ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम की जरूरतें पूरी करने के लिए विंडोज डेवलप की, जिसमें ग्राफिकल यूजर इंटरफेस हो। विंडोज 3.0 विंडोन 3.1 और विंडोज 3.11 को विंडोज 3.x रेफर करती है। विंडोज 3.x वर्जन ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं था, इसके बजाय वह एक ऑपरेटिंग एन्वायरनमेंट था। ऑपरेटिंग सिस्टम एक ग्रॉफिकल यूजर इंटरफेस है, जो ऑपरेटिंग सिस्टम के इस्तेमाल को आसान बनाने के लिए काम करता है। विंडोज 8. डॉस के लिए ऑपरेटिंग एन्वायरमेंट के तौर पर डिजाइन की गई थी। विहांन 3.1 कम्प्यूटर की सभी एक्टिविटीज को नियंत्रित करने लिए एमएस डॉस के साथ काम करती है। इसे ऑपरेट करने के लिए एमएस डॉस की जरूरत होती है। इसलिए असली ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है।
विंडोज 95 :- विंडोज 3.x का स्थान विंडोज 95 में ग्रहण किया। पिंडोज 95 अगस्त, 1995 में रिलीज हुई थी। में 32-बिट ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसमें कम से कम इंटेल 386 चिप की जरूरत है। सेल्फ-कटेड ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो डॉग का बिल्ट-इन और सुधरा हुआ वर्जन है। विंदांग 95 तीनों विंडोज 95, विंडोज 3.x और टॉस को चलती है। विंडोज 95 में प्लग एंड पले और नेटवर्क केपबिलिटीज होती हैं।
विंडोज एन.टी :- विंडोज एन.टी. माइक्रोसॉफ्ट द्वारा बनाया गया ऑपरेटिंग सिस्टम्स का परिवार है। इसका पहला वर्जन 1993 में रिलोड हुआ था। माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एन.टी. ,क्लाएंट- सर्वर नेटवर्क के लिए बनाया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है। सर्वर ने विंडोज एन. टी. सर्वर का इस्तेमाल किया और क्लाएंट्स विंडोज एन.टी. वर्कस्टेशन के सर्वर से जुड़ा विंडोज एन. टी. वर्कस्टेशन में विंडोज 95 इंटरफेस होता है।
डॉस (DOS):- डॉस (डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम) टर्म कई सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में बताती है, जो पीसी के लिए 1980 के शुरुआती दशक में डेवलप किए गए थे। डॉस में पीसी-डॉस और एमएस डॉस दो सर्वाधिक व्यापक वर्जन थे।microsoft ने आईबीएम के लिए पीसी-डॉस बनाया था, जो आईबीएम द्वारा अपने कम्प्यूटरों में बेचे और इंस्टॉल किए गए थे उसी समय माइक्रोसॉफ्ट ने आईबीएम सहायक पर्सनल कम्प्यूटर के निर्माताओं को एमएस-डॉस बेचा।
जब पहले माइक्रोसॉफ्ट ने इसे डेवलप किया, तो डॉस कमांड लाइन इंटरफेस का प्रयोग करता था। बाद के डॉस वर्जन में कमांड लाइन और मेन्यू डिवेन यूजर इंटरफेस दोनों मेमोरी और डिस्क मैनेजमेंट के साथ शामिल हो गए। आज डॉस व्यापक तौर पर ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाता है, क्योंकि ये ग्राफिकल यूजर इंटरफेस नहीं कर सकता और ये मॉडर्न 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर्स का पूरा लाभ नहीं उठा सकता। यद्यपि इसके कुछ यूजर हैं, लेकिन उनमें ज्यादातर विंडोज प्लेटफोर्म के ग्राफिकल यूजर इंटरफेस का पसंद करते हैं।
विंडोज 3.x :- माइक्रोसॉफ्ट में ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम की जरूरतें पूरी करने के लिए विंडोज डेवलप की, जिसमें ग्राफिकल यूजर इंटरफेस हो। विंडोज 3.0 विंडोन 3.1 और विंडोज 3.11 को विंडोज 3.x रेफर करती है। विंडोज 3.x वर्जन ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं था, इसके बजाय वह एक ऑपरेटिंग एन्वायरनमेंट था। ऑपरेटिंग सिस्टम एक ग्रॉफिकल यूजर इंटरफेस है, जो ऑपरेटिंग सिस्टम के इस्तेमाल को आसान बनाने के लिए काम करता है। विंडोज 8. डॉस के लिए ऑपरेटिंग एन्वायरमेंट के तौर पर डिजाइन की गई थी। विहांन 3.1 कम्प्यूटर की सभी एक्टिविटीज को नियंत्रित करने लिए एमएस डॉस के साथ काम करती है। इसे ऑपरेट करने के लिए एमएस डॉस की जरूरत होती है। इसलिए असली ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है।
विंडोज 95 :- विंडोज 3.x का स्थान विंडोज 95 में ग्रहण किया। पिंडोज 95 अगस्त, 1995 में रिलीज हुई थी। में 32-बिट ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसमें कम से कम इंटेल 386 चिप की जरूरत है। सेल्फ-कटेड ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो डॉग का बिल्ट-इन और सुधरा हुआ वर्जन है। विंदांग 95 तीनों विंडोज 95, विंडोज 3.x और टॉस को चलती है। विंडोज 95 में प्लग एंड पले और नेटवर्क केपबिलिटीज होती हैं।
विंडोज एन.टी :- विंडोज एन.टी. माइक्रोसॉफ्ट द्वारा बनाया गया ऑपरेटिंग सिस्टम्स का परिवार है। इसका पहला वर्जन 1993 में रिलोड हुआ था। माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एन.टी. ,क्लाएंट- सर्वर नेटवर्क के लिए बनाया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है। सर्वर ने विंडोज एन. टी. सर्वर का इस्तेमाल किया और क्लाएंट्स विंडोज एन.टी. वर्कस्टेशन के सर्वर से जुड़ा विंडोज एन. टी. वर्कस्टेशन में विंडोज 95 इंटरफेस होता है।
Windos |
विंडोज 98 :- विंडोज 98 माइक्रोसॉफ्टवेयर द्वारा 25 जून, 1998 को रिलीज किया। गया ग्राफिकल ऑपरेटिंग सिस्टम है और इसने विंडोज 95 का स्थान ग्रहण किया। विंडोज 98 के ऑपरेटिंग सिस्टम में कुछ सुधारों के बाद विंडोज 98 एस.ई. को 5 मई, 1998 को रिलीज किया गया। विंडोज 98 में कई प्रोग्राम शामिल किए गए जो आपको इंटरनेट एक्सप्लोरर, आउटलुक एक्सप्रेस और फ्रंटप्रज पर इन्फॉर्मेशन देखने और आदान-प्रदान करने की अनुमति प्रदान करते हैं। विंडोज 98 सिस्टम को तेजी से स्टार्टअप करने व सटडाउन करने और बेटर फाइल मैनेजमेंट की सुविधा प्रदान करती है। विंडोज 98 यूनीवर्सल सीरियल बस यू.एस.बी. को सपोर्ट करती है, जिससे आप अपने कम्प्यूटर में आसानी से डिवाइस एड और रिमूव कर सकते हैं।
विंडोज 2000 :- यह माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एन.टी. लाइन के ऑपरेटिंग सिस्टम का हिस्सा है और 17 फरवरी, 2000 को रिलीज हुआ था। विडम् 2000 एनटी करनेल और इंटरफेस फीचर्स पर बना हुआ है, जो विंडोज एनटी विंडोज 95 और विंडोज 98 से मिलती-जुलती है। विंडोज 2000 लाइन में विंडोज 2000 प्रोफेशनल, विंडोज 2000 एट सर्वर और विंडोज 2000 डाटासेंटर सर्वर जोड़ा गया है। सिंडोज 2000 असल में विंडोज एन.टी. 5.0 एनाउंस की गई थी।
विंडोज़ एम.ई. :- विंडोज़ एम.ई. कहलाने वाली विंडोज मिलेनियम, एडीसन विडोज 95 और 98 के सक्सेसर हैं। सात महीने पहले रिलीज़ विंडोज 2000 के मुकाबले विंडोज एम.ई. को होम एडिसन के तौर पर बाजार में किया गया। ये इंटरनेट एक्सप्लोर 5.5, विंडोज मीडिया प्लेयर 7 मिक्स वीडियो एडिटिंग के लिए नया विंडोज मूवी मेकर सॉफ्टवेयर की सुविधा प्रदान करता है और इसके घरेलू उपयोगकर्ता को आसानी से समझ में आ जाता है। माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज एम.ई. विंडोज 2000 में कुछ विशेषताओं के साथ ग्राफिकल यूजर लियो अपडेट किए गए पहले थे। विंडोज़ एम.ई. फीचर के साथ आप अपने कंप्यूटर को रोस्टोर कर सकते हैं। यदि आपके कंप्यूटर में कोई समस्या है, तो आप समस्या होने की तारीख से पहले अपने कंप्यूटर को सिस्टम को रेस्टोर करने के तत्व का उपयोग कर सकते हैं।
विंडोज एम.ई. विंडोज एम.ई. कहलाने वाली विंडीज मिलेनियम, एडीयन विडोज 95 और 98 की सक्सेसर है। सात महीने पहले रिलीज विंडोज 2000 के मुकाबले विंडोज एम.ई. को होम एडीसन के तौर पर मार्केट किया गया। ये एक्सप्लोर 5.5, विंडोज मीडिया प्लेयर 7 बेसिक वीडियो एडीटिंग के लिए नया विंडोज मूवी मेकर सॉफ्टवेयर की सुविधा प्रदान करता है और इसको होम यूजर की आसानी के लिए डिजायन किया गया। माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज एम.ई. में कुछ फीचर्स के साथ ग्राफिकल यूजर इंटरफेस अपडेट किया के पहले विंडोज 2000 में इंट्रोड्यूस किए गए थे। विंडोज एम.ई. फीचर के साथ आप अपने कम्प्यूटर को रोस्टोर कर सकते हैं। यदि आप कम्प्यूटर में कोई समस्या पाते हैं, तो आप समस्या के होने से पहले की तिथि में अपने कम्प्यूटर को ले जाने के लिए सिस्टम रेस्टोर फीचर का इस्तेमाल कर सकते हैं। विंडोज एक्स.पी.:- माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एक्स. पी. खास तौर पर होम कम्प्यूटिंग और बड़ी ऑर्गेनाईजेशंस के लिए डिजायन की गई है। विंडोज एक्स.पी. से आप "डिजिटल ऐज के एक्साइटिंग एक्सपीरिएंस का अनुभव करते हैं। वियोग 2000 की सोलिड फाउंडेशन पर बनी विंडोज एक्स.पी. एफीसिएंट और डिपेंडेबल कम्प्यूटिंग में नए मानक स्थापित करती है। विंडोज एक्सपी के दो लोकप्रिय वर्जन विंडोज एक्स.पी. होम एडीसन और विंडोज एक्स.पी प्रोफेसनल है। विंडोज एक्स.पी. मीडिया सेंटर एडीसन रिकॉर्ड करने टीवी शो देखने, डी.वी.डी देखने और म्यूजिक सुनने की क्षमता बढ़ाने वाला अतिरिक्त मल्टीमीडिया फीचर है।
विंडोज विस्टा :- विंडोज विस्टा माइक्रोसॉफ्ट विंडोज को लेटेस्ट रिलीज का नाम है। ये होम व बिजनेस डेस्कटॉप नोटबुक कम्प्यूटर्स और मीडिया सेंटर सहित पसंगल कम्प्यूटर की ग्राफिकल ऑपरेटिंग सिस्टम्स लाइन है। विंडोज विस्टा में सैकड़ों नए फीचर हैं। इनमें से कुछ अपडेटेड ग्राफिकल यूजर इंटरफेस, विजुअल स्टाइल उन्ड विंडोज ऐसे सुधारे हुए सचिंग फीचर्स, विंडोज डी.वी.डी मेकर जैसे नए मल्टीमीडिया क्रिएशन टूल्स, नए तरीके से डिजाइन संपूर्ण नेटवर्किंग, ऑडियो, प्रिंट और डिस्प्ले सब सिस्टम हैं।
विंडोज एनटी सर्वर:- माइक्रोसॉफ्ट ने क्लाइंट व सर्वर नेटवर्क्स के लिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम के तौर पर विंडोज एन.टी. को विकसित किया था। सर्वर इस एनवायरनमेंट में विंडोज एन. टी. सर्व इस्तेमाल करता है क्लाइंट कम्प्यूटर्स ने विंडोज एन.टी. वर्कस्टेशन या विंडोज का कोई अन्य स्टैंड एलोन वर्जन प्रयोग किया है।
विंडोज एन. टी. वर्कस्टेशन :- विंडोज एन. टी. वर्कस्टेशन, विंडोज एन.टी. ऑपरेटिंग सिस्टम का एक वर्जन है, जो क्लाइंट व सर्वर और किसी पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर काम करता है। कई शक्तिशाली एप्लीकेशंस विंडोज एन. टी. वर्कस्टेशन पर चलाने के लिए विशिष्ट रूप से डिजायन किए गए हैं।
विंडोज 2000 सर्वर:- विंडोज 2000 सर्वर, विंडोज एन. टी. सर्वर का सुधरा हुआ रूप है। विंडोज 2000 सर्वर, विंडोज 2000 प्रोफेशनल के साथ वही यूजर इंटरफेस शेयर करता है। लेकिन इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर चलाने के लिए अतिरिक्त पुर्जे होते हैं । सर्वर के विभिन्न स्तर की जरूरतों की पूर्ति के लिए विंडोज 2000 सर्वर परिवार के तीन प्रोडक्ट हैं :
ये हैं विंडोज 2000 सर्वर, विंडोज 2000 एडवांस्ड सर्वर और विंडोज 2000 डाटासेंटर सर्वर | विंडोज 2000 सर्वर खास बिजनेस नेटवर्क के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम है। विंडोज 2000 एडवांस्ड सर्वर ई-कॉमर्स एप्लीकेशंस के लिए डिजाइन किया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है। विंडोज 2000 डाटासेंटर सर्वर डाटा वेयरहाउसिंग जैसी डिमांडिंग व लार्जस्केल एप्लीकेशंस के लिए उत्तम है।
यूनीक्स:- ये मल्टीयूजर व मल्टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो वर्कस्टेशंस और सर्वर में मास्टर कंट्रोल प्रोग्राम के तौर पर व्यापक ढंग से प्रयुक्त होता है। विंडोज पर आधारित पीसी की दुनिया को छोड़कर, मार्केट में यूनीक्स के कई वर्जन हैं। लगभग हर हार्डवेयर विक्रेता यूनीक्स को या तो प्राथमिक या दोयम ऑपरेटिंग सिस्टम बताता है। बीते वर्षों में सन और एस.सी. ओ यूनीक्स के स्पांसर बन कर उभरे हैं। यूनिक्स सी लैंग्वेज में लिखा जाता है। दोनों यूनीक्स व सी ए. टी. एंड टी. द्वारा विकसित किए गए और सरकारी व अकादमिक इंस्टीट्यूशंस को खुले तौर पर वितरित किए गए, क्योंकि ये किसी अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम के बजाय मशीन परिवार की व्यापक वेरायटी पर पोट्रिड था। परिणामस्वरूप, यूनीक्स 'ओपन सिस्टम' का पर्यायवाची बन गया।
विंडोज विस्टा :- विंडोज विस्टा माइक्रोसॉफ्ट विंडोज को लेटेस्ट रिलीज का नाम है। ये होम व बिजनेस डेस्कटॉप नोटबुक कम्प्यूटर्स और मीडिया सेंटर सहित पसंगल कम्प्यूटर की ग्राफिकल ऑपरेटिंग सिस्टम्स लाइन है। विंडोज विस्टा में सैकड़ों नए फीचर हैं। इनमें से कुछ अपडेटेड ग्राफिकल यूजर इंटरफेस, विजुअल स्टाइल उन्ड विंडोज ऐसे सुधारे हुए सचिंग फीचर्स, विंडोज डी.वी.डी मेकर जैसे नए मल्टीमीडिया क्रिएशन टूल्स, नए तरीके से डिजाइन संपूर्ण नेटवर्किंग, ऑडियो, प्रिंट और डिस्प्ले सब सिस्टम हैं।
विंडोज एनटी सर्वर:- माइक्रोसॉफ्ट ने क्लाइंट व सर्वर नेटवर्क्स के लिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम के तौर पर विंडोज एन.टी. को विकसित किया था। सर्वर इस एनवायरनमेंट में विंडोज एन. टी. सर्व इस्तेमाल करता है क्लाइंट कम्प्यूटर्स ने विंडोज एन.टी. वर्कस्टेशन या विंडोज का कोई अन्य स्टैंड एलोन वर्जन प्रयोग किया है।
विंडोज एन. टी. वर्कस्टेशन :- विंडोज एन. टी. वर्कस्टेशन, विंडोज एन.टी. ऑपरेटिंग सिस्टम का एक वर्जन है, जो क्लाइंट व सर्वर और किसी पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर काम करता है। कई शक्तिशाली एप्लीकेशंस विंडोज एन. टी. वर्कस्टेशन पर चलाने के लिए विशिष्ट रूप से डिजायन किए गए हैं।
विंडोज 2000 सर्वर:- विंडोज 2000 सर्वर, विंडोज एन. टी. सर्वर का सुधरा हुआ रूप है। विंडोज 2000 सर्वर, विंडोज 2000 प्रोफेशनल के साथ वही यूजर इंटरफेस शेयर करता है। लेकिन इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर चलाने के लिए अतिरिक्त पुर्जे होते हैं । सर्वर के विभिन्न स्तर की जरूरतों की पूर्ति के लिए विंडोज 2000 सर्वर परिवार के तीन प्रोडक्ट हैं :
ये हैं विंडोज 2000 सर्वर, विंडोज 2000 एडवांस्ड सर्वर और विंडोज 2000 डाटासेंटर सर्वर | विंडोज 2000 सर्वर खास बिजनेस नेटवर्क के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम है। विंडोज 2000 एडवांस्ड सर्वर ई-कॉमर्स एप्लीकेशंस के लिए डिजाइन किया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है। विंडोज 2000 डाटासेंटर सर्वर डाटा वेयरहाउसिंग जैसी डिमांडिंग व लार्जस्केल एप्लीकेशंस के लिए उत्तम है।
यूनीक्स:- ये मल्टीयूजर व मल्टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो वर्कस्टेशंस और सर्वर में मास्टर कंट्रोल प्रोग्राम के तौर पर व्यापक ढंग से प्रयुक्त होता है। विंडोज पर आधारित पीसी की दुनिया को छोड़कर, मार्केट में यूनीक्स के कई वर्जन हैं। लगभग हर हार्डवेयर विक्रेता यूनीक्स को या तो प्राथमिक या दोयम ऑपरेटिंग सिस्टम बताता है। बीते वर्षों में सन और एस.सी. ओ यूनीक्स के स्पांसर बन कर उभरे हैं। यूनिक्स सी लैंग्वेज में लिखा जाता है। दोनों यूनीक्स व सी ए. टी. एंड टी. द्वारा विकसित किए गए और सरकारी व अकादमिक इंस्टीट्यूशंस को खुले तौर पर वितरित किए गए, क्योंकि ये किसी अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम के बजाय मशीन परिवार की व्यापक वेरायटी पर पोट्रिड था। परिणामस्वरूप, यूनीक्स 'ओपन सिस्टम' का पर्यायवाची बन गया।
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